कामगार एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
यूनियन टेरिटरी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ ने मुनाफा कमा रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग के गैरकानूनी तौर पर किये जा रहे निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ प्रशासन को 22 फरवरी से 24 फरवरी तक 72 घंटे की हड़ताल का नोटिस दे दिया है। बिजली कर्मचारियों ने इसके पहले निजीकरण के खिलाफ़ 1 फरवरी को 24 घंटे की हड़ताल करी थी और ऐलान किया था कि यदि सरकार अपना रवैया नहीं बदलती है तो वे लंबी हड़ताल करेंगे।
जब अभी तक बिजली (संशोधन) बिल 2021 संसद में पेश ही नहीं हुआ तो उससे पहले मुनाफा कमा रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण गैरकानूनी है। सरकार देश के अन्य केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए एक नीति तथा चंडीगढ़ के मामले में दूसरा मापदण्ड अपना रहा है। अभी तक केन्द्र सरकार की यह नीति रही है कि सिर्फ घाटे वाले विभागों का ही निजीकरण किया जायेगा लेकिन चंडीगढ़ के बारे में यह बात भी लागू नहीं होती है। एक और दलील कि निजीकरण से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा, यह दलील भी चंडीगढ़ के मामले में नहीं दी जा सकती क्योंकि समूचित विभाग का 100 प्रतिशत हिस्सा निजी मालिक को हवाले किया जा रहा है और वोह भी ऐसे पूंजीपति को जिसके बिजली के दर सारे देश में सबसे अधिक है। चंडीगढ़ में बिजली की दर 150 यूनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये/यूनिट है लेकिन एमीनेंट कम्पनी जिसे सरकार बिजली विभाग को बेच रही है उसका 150 यूनिट तक का दर 7.17 रूपये/यूनिट तथा 300 यूनिट से आगे का रेट 8.92 रूपये है। इस हकीकत को देश के बिजली मंत्री ने भी स्वीकार किया है लेकिन सब कुछ जानते हुए भी चंडीगढ़ की जनता को निजी कपने द्वारा लूट के सहारे छोड़ दिया जा रहा है।
विभाग का सालाना कारोबार 1000 करोड़ रूपये से अधिक है और कुल संपत्ति की मार्किट मूल्य लगभग 20 से 25 हजार करोड़ रुपये है। इसे सिर्फ 871 करोड़ रुपये में बेचा जा रहा है जबकि पिछले पांच सालों में ही विभाग ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक मुनाफा कमा कर सरकारी खाते में जमा किये हैं। इसलिए बिजली विभाग का निजीकरण करने का कोई औचित्य नहीं है।
निजीकरण को पूंजीपति के लिए ज्यादा लाभदायक बनाने के लिए सरकार जमीन तथा बिल्डिंगों का किराया 25 साल तक मात्र 1 रूपये महिना देने की बात कर रही है जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। जनता के खून पसीने से बनाये गये बिजली विभाग को इस तरह कौड़ियों के भाव लुटाना किसी भी तरह वाजिब नहीं है।
यह साफ दिखता है कि निजीकरण से बिजली आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जायेगी।
बिजली कर्मचारियों ने इस संबध में 7 फरवरी 2022 को शहर की राजनीतिक पार्टियों, मुहल्ला समितियों, ग्राम संघर्ष कमेटियों, व्यापार मण्डलों, ट्रेड यूनियनों तथा सामाजिक संगठनों का संयुक्त कन्वेंशन आयोजित किया है जिसमें निजीकरण की लड़ाई में सहयोग मांगा जायेगा क्योंकि यह कर्मचारियों का नही बल्कि सभी चंडीगढ़वासियों का मुद्दा है। यूनियन ने समाज के सभी वर्गो को बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करने की अपील की है।
यूनियन टेरिटरी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ ने मुनाफा कमा रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग के गैरकानूनी तौर पर किये जा रहे निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ प्रशासन को 22 फरवरी से 24 फरवरी तक 72 घंटे की हड़ताल का नोटिस दे दिया है। बिजली कर्मचारियों ने इसके पहले निजीकरण के खिलाफ़ 1 फरवरी को 24 घंटे की हड़ताल करी थी और ऐलान किया था कि यदि सरकार अपना रवैया नहीं बदलती है तो वे लंबी हड़ताल करेंगे।
जब अभी तक बिजली (संशोधन) बिल 2021 संसद में पेश ही नहीं हुआ तो उससे पहले मुनाफा कमा रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण गैरकानूनी है। सरकार देश के अन्य केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए एक नीति तथा चंडीगढ़ के मामले में दूसरा मापदण्ड अपना रहा है। अभी तक केन्द्र सरकार की यह नीति रही है कि सिर्फ घाटे वाले विभागों का ही निजीकरण किया जायेगा लेकिन चंडीगढ़ के बारे में यह बात भी लागू नहीं होती है। एक और दलील कि निजीकरण से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा, यह दलील भी चंडीगढ़ के मामले में नहीं दी जा सकती क्योंकि समूचित विभाग का 100 प्रतिशत हिस्सा निजी मालिक को हवाले किया जा रहा है और वोह भी ऐसे पूंजीपति को जिसके बिजली के दर सारे देश में सबसे अधिक है। चंडीगढ़ में बिजली की दर 150 यूनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये/यूनिट है लेकिन एमीनेंट कम्पनी जिसे सरकार बिजली विभाग को बेच रही है उसका 150 यूनिट तक का दर 7.17 रूपये/यूनिट तथा 300 यूनिट से आगे का रेट 8.92 रूपये है। इस हकीकत को देश के बिजली मंत्री ने भी स्वीकार किया है लेकिन सब कुछ जानते हुए भी चंडीगढ़ की जनता को निजी कपने द्वारा लूट के सहारे छोड़ दिया जा रहा है।
विभाग का सालाना कारोबार 1000 करोड़ रूपये से अधिक है और कुल संपत्ति की मार्किट मूल्य लगभग 20 से 25 हजार करोड़ रुपये है। इसे सिर्फ 871 करोड़ रुपये में बेचा जा रहा है जबकि पिछले पांच सालों में ही विभाग ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक मुनाफा कमा कर सरकारी खाते में जमा किये हैं। इसलिए बिजली विभाग का निजीकरण करने का कोई औचित्य नहीं है।
निजीकरण को पूंजीपति के लिए ज्यादा लाभदायक बनाने के लिए सरकार जमीन तथा बिल्डिंगों का किराया 25 साल तक मात्र 1 रूपये महिना देने की बात कर रही है जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। जनता के खून पसीने से बनाये गये बिजली विभाग को इस तरह कौड़ियों के भाव लुटाना किसी भी तरह वाजिब नहीं है।
यह साफ दिखता है कि निजीकरण से बिजली आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जायेगी।
बिजली कर्मचारियों ने इस संबध में 7 फरवरी 2022 को शहर की राजनीतिक पार्टियों, मुहल्ला समितियों, ग्राम संघर्ष कमेटियों, व्यापार मण्डलों, ट्रेड यूनियनों तथा सामाजिक संगठनों का संयुक्त कन्वेंशन आयोजित किया है जिसमें निजीकरण की लड़ाई में सहयोग मांगा जायेगा क्योंकि यह कर्मचारियों का नही बल्कि सभी चंडीगढ़वासियों का मुद्दा है। यूनियन ने समाज के सभी वर्गो को बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करने की अपील की है।