चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ जन-आंदोलन का ऐलान

यूटी पावर मैन यूनियन, चंडीगढ़ के महासचिव श्री गोपाल दत्त जोशी से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर

यूटी पावर मैन यूनियन ने केन्द्र सरकार के निर्देश पर बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ 7 फरवरी को चंडीगढ़ के पब्लिक कन्वेंशन सेंटर में एक कन्वेंशन आयोजित किया जिसमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों, ट्रेड यूनियनों, राजनितिक दलों के साथ साथ किसान संगठनों ने भाग लिया गया। कन्वेंशन द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव में सभी कानूनों को तोड़ते हुए, कर्मचारियों की भारी कमी के बावजूद, प्रति वर्ष करोड़ों का मुनाफा कमाने और उपभोक्ताओं को सस्ती एवं अबाधित बिजली देने वाले बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने के फैसले की घोर निंदा की।

यह भी निर्णय लिया गया कि बिजली निजीकरण के खिलाफ 15 फरवरी को सेक्टर 17 शिवालिक होटल से स्टे पार्क में मास नागरिक धरना दिया जाएगा। इसके बाद राजनीतिक दल, किसान जत्थेबंदियां, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, ट्रेड यूनियन, काउंसलर का संयुक्त शिष्टमंडल यूटी चंडीगढ़ प्रशासक को ज्ञापन सौंपेंगे।

यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ निजीकरण के आम जनता पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देने के लिए धर धर जाकर पर्चे वितरित किए जाएंगे। संसद, मेयर, काउंसलर व सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को ज्ञापन दिए जाएंगे।

बिजली निजीकरण के बाद आम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देने के लिए सभी सेक्टरों में उपभोक्ता सभाएं करने का फैसला भी लिया गया।

यूटी पावर मैन यूनियन ने पहले ही चंडीगढ़ बिजली विभाग को कोड़ियों के भाव में निजी कंपनी को बेचने के खिलाफ 21 फरवरी रात 11 बजे से तीन दिवसीय हड़ताल करने का निश्चय किया हुआ है।

कन्वेंशन में बिजली निजीकरण के खिलाफ 21 फरवरी रात से शुरू हो रही बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का पुरजोर समर्थन करने का फैसला लिया गया।

कन्वेंशन के परिणामस्वरूप कर्मचारी संगठन, जन प्रतिनिधि, ट्रेड यूनियन व विपक्षी दल बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।

इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लोयीज फेडरेशन के चेयरमेन श्री सुभाष लांबा व यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ के महासचिव श्री गोपाल दत्त जोशी ने “सस्ती व अबाधित बिजली देकर भी मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग का निजीकरण क्यों ?” विषय पर पेपर प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हमें मालूम नहीं कि भारत सरकार व चण्डीगढ़ प्रशासन देश में सबसे सस्ती व 24 घंटे अबाधित बिजली देकर भी पिछले 5 सालों से 150 करोड़ से 350 करोड़ तक मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग को देश में सबसे महँगी बिजली दे रही कोलकता की एक निजी कम्पनी को बेचने पर क्यों तुली है।

उन्होंने कहा कि जब चंडीगढ़ बिजली विभाग का गठन हुआ तब 1 लाख 10 हजार के करीब कनेक्शन थे और 2200 कर्मचारी काम करते थे। आज 2.50 लाख के करीब कनेक्शन हैं और करीब 1000 कर्मचारी है, जिसमें भी करीब 400 ठेका कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 66 केवी के 14 और 33 केवी के 5 सब स्टेशन तथा 2500 के करीब डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफर है। कनेक्शन दुगुने से भी ज्यादा कर्मचारी आधे से भी कम होने के बावजूद रात दिन काम कर 24 घंटे निर्बाध बिजली दी जा रही है। चंडीगढ़ में 100 प्रतिशत मीटरिंग सप्लाई है।

लाइन लॉस केन्द्र सरकार के मानक 15 प्रतिशत से काफी कम 10 प्रतिशत से भी नीचे हैं। विभाग को अच्छी सेवा के लिए अवार्ड दिये गये हैं। पिछले 5 साल से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई है, बल्कि इस साल रेट घटाये हैं तथा बिजली की दर 150 युनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये है। लेकिन ऐमीनेंट कम्पनी (जिसे सरकार विभाग को बेच रही है) का 150 यूनिट तक का रेट 7.16 रूपये तथा 300 यूनिट से आगे 8.92 रूपये है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्देश पर बिजली कानून – 2003 की अवेहलना कर गैर कानूनी तरीके से बिजली विभाग निजी हाथों में बेचा जा रहा है, वह भी सबसे मंहगी बिजली बेचने वाली निजी कम्पनी को।

जनता के पैसे बनी 20,000-25,000 करोड़ रुपये की अनुमानित सम्पत्ति सिर्फ 871 करोड़ रुपये में बेची जा रही है। बेचने से पहले मशीनरी, बिल्डिंग व जमीन की कीमत तय कर आडिट भी नहीं कराया गया। सरकार व प्रशासन निजी कंपनियों को जमीन व बिल्डिंग को 1 रुपये प्रति महिने किराये पर दिया जा रहा है।
सैंकड़ों अरबों की संपत्ति को कोड़ियों के भाव निजी घरानों को लुटाया जा रहा है। जिसे बचाना हमारा अधिकार भी है व कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन के इस कदम से जनता पर कई गुना मँहगी बिजली का भार पड़ेगा व बिजली गरीब लोगों की पहुँच से दूर हो जायेगी।

यह भी ध्यान रखा जाये कि इतना बड़ा जनविरोधी फैसला लेने से पहले प्रशासन ने मुख्य हितधारकों, विशेषकर कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से जरूरी सुझाव व एतराज लेना भी उचित नहीं समझा।

श्री सुभाष लांबा ने चेतावनी दी कि अगर चंडीगढ़ प्रसाशन ने निजीकरण का फैसला वापिस लेने के बजाय हड़ताल को कुचलने के लिए दमन का रास्ता अख्तियार किया तो देश भर के मुलाजिम सड़कों पर उतरने पर मजबूर होंगे|

उन्होंने केंद्र सरकार व यूटी चंडीगढ़ प्रसाशन से जम्मू-कश्मीर व पुडुचेरी से सबक लेते हुए बिजली निजीकरण के फैसले को वापिस लेने की माँग की|

कन्वेंशन में कांग्रेस पार्टी के प्रधान सुभाष चावला, आम आदमी पार्टी के प्रधान प्रेम गर्ग व वरिष्ठ उप प्रधान विक्रम धवन, सीपीआई के सचिव राजकुमार, सीपीआईएम के नेता मोहम्मद शहनाज गोरशी, आरएमपीआई के नेता इन्द्रजीत सिंह गरेवाल, अकाली दल के प्रधान व प्रार्षद हरप्रीत सिंह बुटरेला, कांग्रेस पार्टी की पार्षद गुरबख्श कौर रावत, आम आदमी पार्टी के पार्षद दमनप्रीत सिंह, फॉसवैक के चेयरमैन बलजिन्द्र सिंह बिट्टू, महासचिव जीएस गोगिया, प्रदीप चोपड़ा, पिन्डू संघर्ष कमेटी के प्रधान दलजीत सिंह पलसौरा, सरनजीत सिंह, जोगा सिंह, समूह गुरद्वारा कमेटी के महासचिव रघुबीर सिंह रामपुर, रैजीडैंटस वैल्फेयर ऐसोसिऐशन के सतिश कुमार खोसला, एम आर भाटिया, श्रीमति महिन्द्र कौर, किसान ऐकता मंच के सतनाम सिंह टांडा, शास्त्री मार्किट सेक्टर 22 के प्रधान जसविन्द्र सिंह नागपाल, पैंशनर ऐसोसिऐशन के राम सरूप, फैड़रेशन के प्रधान रघबीर चन्द, रजिन्द्र कटोच, हरकेश चन्द, चण्डीगढ़ एसएस फैड़रेशन के रंजीत मिश्रा के इलावा बिजली कर्मचारियों के नेता अमरीक सिंह, सुखविन्द्र सिंह, गुरमीत सिंह, रणजीत सिंह, पान सिंह आदि ने भाग लिया।

 

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