महासचिव, राष्ट्रीय रेलवे मजदूर यूनियन (NRMU) (CR/KR) से प्राप्त रिपोर्ट
HMS, NRMU (CR/KR) सहित केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (CTU) द्वारा बुलाई गई 28-29 मार्च 2022 की राष्ट्रव्यापी मज़दूर हड़ताल के समर्थन में 29 मार्च को एक उत्कृष्ट एकजुटता मार्च आयोजित किया गया। मार्च में NRMU (CR) के लगभग 5000 सदस्यों ने भाग लिया और वह युवकों और युवा महिला कर्मचारियों की उपस्थिति के साथ शानदार हो गया।
शांतिपूर्ण रैली का नेतृत्व इसके महासचिव कॉम. वेणु पी नायर ने किया। HMS महाराष्ट्र महासचिव श्री. संजय वाधवकर ने उद्योगों की विभिन्न धाराओं से जुड़े कई मज़दूरों के साथ एनआरएमयू कैडर के साथ मिलकर मार्च किया, जिनकी लाल पोशाक और लाल बैनर और लहराते हुए झंडों ने इस आयोजन को “लाल समुद्र” बना दिया। NRMU(CR) के अध्यक्ष कॉम. पी.जे. शिंदे और अन्य मुख्यालय और मंडल पदाधिकारी भी रैली का नेतृत्व कर रहे थे।
मार्च CSMT स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 18 से शुरू हआ तथा सरकार की प्रतिगामी और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रतिभागियों की निरंतर नारेबाजी के साथ शांतिपूर्ण रैली उपनगरीय भीड़ एवं सबवे से होते हुए अलग-अलग सरकारी प्रतिष्ठानों से सैकड़ों विरोध प्रदर्शन करने वाले मज़दूरों के साथ शामिल होने के लिए आजाद मैदान पहुंची ।
यह एकजुटता मार्च देश के असंतुष्ट मज़दूरों की एक स्पष्ट अभिव्यक्ति थी, जिसमें रेलकर्मी भी शामिल थे, जो सरकार के कारपोरेट समर्थक एजेंडे को आगे बढ़ाने के प्रयास के खिलाफ थे, वे निजीकरण, विनिवेश, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, निगमीकरण, आउटसोर्सिंग, श्रम संहिता के कार्यान्वयन के माध्यम से सार्वजनिक उपक्रमों को खत्म करने के खिलाफ थे। ये नीतियाँ जैसे कि एनपीएस, लाखों रिक्त पदों को न भरना, और अन्य श्रमिक विरोधी, जनविरोधी नीतियां सामान्य रूप से आम लोगों और शमज़दूर वर्ग और विशेष रूप से शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए हानिकारक हैं।
कॉम. वेणु पी नायर, महासचिव, NRMU (CR/KR) ने आजाद मैदान में अपने तीखे भाषण से मज़दूरों के सैलाब को संबोधित किया और सरकार को अपनी नीतियों की समीक्षा करने की चेतावनी दी जो मज़दूरों के हित में नहीं हैं और उन्होंने मज़दूरों की बिरादरी को अपने वैध अधिकारों और विशेषाधिकारों की रक्षा के लिए एक आक्रामक निर्णायक रुख अपनाने के मज़बूर नहीं करने का आग्रह किया।
मार्च में भाग लेने वाले हजारों मज़दूरों ने अन्याय के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया और देश के केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा अपनाए गए “लोगों को बचाओ, राष्ट्र बचाओ” के नारे के मिशन को पूरा करने का संकल्प लिया।
पुणे, सोलापुर और मध्य रेलवे के अन्य सभी मंडलों में गेट बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें सैकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया और हड़ताली मज़दूरों को अपना पूरा समर्थन दिया। इस प्रकार, विभिन्न डिवीजनों में आयोजित यह मज़दूर रैली और अन्य विरोध कार्यक्रम सामान्य रूप से मुंबई और महाराष्ट्र के ट्रेड यूनियन आंदोलन के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना बन गयी।