यूपी के बिजली इंजीनियरों ने बिजली बोर्ड के भ्रष्टाचार के खिलाफ 4 से 6 अप्रैल तक काम के बहिष्कार का किया आह्वान

कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

यूपी बिजली कर्मचारियों ने 29 मार्च 2022 को राज्य बिजली बोर्ड के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए काम का बहिष्कार किया था और चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वे 4 से 6 अप्रैल तक काम का बहिष्कार करेंगे। राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ और राजकीय विद्युत परिषद जूनियर इंजीनीयर्स संगठन ने हजारों करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच की मांग की है जिसमें बिजली बोर्ड शामिल है। उन्होंने घोषणा की है कि वे सामूहिक कैजुअल लीव लेकर तीन दिनों के लिए काम का बहिष्कार करेंगे। प्रबंधन को पहले ही 4500 से अधिक छुट्टी के आवेदन जमा किए जा चुके हैं।


देश भर में बिजली इंजीनियरों ने 28 और 29 मार्च 2022 को भारी संख्या में अखिल भारतीय आम हड़ताल में भाग लिया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड और पंकी पावर हाउस के बिजली कर्मचारियों ने हजारों करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच की मांग को लेकर काम का बहिष्कार किया था, जिस घोटाले में बिजली बोर्ड शामिल है। सेक्टर-16 बिजली विभाग के कार्यालय में जमा हो गए कर्मचारियों ने मामले की तत्काल जांच की मांग की है।

ERF सॉफ्टवेयर लॉन्चिंग घोटाले में बोर्ड की संलिप्तता, उच्च दरों पर बिजली खरीदने की प्रक्रिया में धांधली और बिजली कर्मचारियों के उत्पीड़न से राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ और राजकीय विद्युत परिषद जूनियर इंजीनीयर्स संगठन के इंजीनीयर आक्रोशित हैं। विरोध कर रहे कर्मचारियों ने खुलासा किया कि 4 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली पैदा करनेवाली बिजली उत्पादन इकाइयां बंद कर दी गईं और इसके बजाय, बिजली को 20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बेचनेवली निजी उत्पादन कंपनियों से खरीदा गया और पूरे क्षेत्र में उसकी आपूर्ति की गई। यह जानबूझकर कुछ निजी कंपनियों को भारी मुनाफा सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। यह सब बिजली क्षेत्र के उपभोक्ताओं और श्रमिकों की कीमत पर और कुछ कॉरपोरेट घरानों के हितों की सेवा के लिए था। इसमें शामिल धन की राशि हजारों करोड़ रुपयें के आसपास होने का अनुमान है।
एक निजी कंपनी से लगभग 750 करोड़ रुपये की अत्यधिक ऊंची कीमत पर एक ERF सॉफ्टवेयर खरीदने का आरोप भी कर्मियों ने बोर्ड पर लगाया है। उनका दावा है कि एक समान सॉफ्टवेयर उनके अपने कर्मचारियों द्वारा बहुत सस्ती दरों पर तैयार की जा सकती है। इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानेवाले कर्मचारियों को प्रबंधन द्वारा परेशान किया जा रहा है। इसलिए, बिजली क्षेत्र के कर्मचारी मामले की जांच और श्रमिकों के उत्पीड़न को समाप्त करने की मांग के लिए एक साथ आए हैं।

बिजली कर्मचारियों ने 29 मार्च 2022 को बिजली बोर्ड के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए काम का बहिष्कार किया था। राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ और राजकीय विद्युत परिषद जूनियर इंजीनीयर्स संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वे 4 से 6 अप्रैल तक सामूहिक कैजुअल लीव लेकर फिर से काम का बहिष्कार करेंगे। प्रबंधन को पहले ही 4500 से अधिक छुट्टी के आवेदन जमा किए जा चुके हैं।

ऊंचे दामों पर बिजली खरीदना और सस्ती दरों पर बिजली पैदा करनेवाली इकाइयों को बंद करना जनविरोधी है। यह स्पष्ट रूप से कुछ निजी पूंजीपतियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, जबकि उपभोक्ता पीड़ित होते हैं और श्रमिकों को इस तरह के पूंजीपती समर्थक प्रथाओं से होनेवाले नुकसान के लिए दोषी ठहराया जाता है। हम सभी को एक साथ आना चाहिए और बिजली कर्मचारियों के न्यायसंगत संघर्ष का समर्थन करना चाहिए!

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