महाराष्ट्र के भिवंडी में श्रमिकों और जन संगठनों ने दो दिवसीय राष्ट्रीय आम हड़ताल में भाग लिया

कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

29 मार्च को भिवंडी जन संघर्ष समिति ने प्रान्त कार्यालय के सामने एक सफल प्रदर्शन का आयोजन किया। बैठक में CITU, AITUC, लोक राज संगठन, लाल बावटा पावरलूम संगठन, ST वर्कर्स यूनियन, बहुजन वंचित अघाड़ी और MPJ के सदस्य शामिल हुए।

सभी वक्ताओं ने हड़ताल और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को हटाने, पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने, किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम का निजीकरण बंद करने आदि की मांगों का समर्थन किया और कहा कि वे लोगों की मांगें पूरी नहीं होने पर कई बार इकट्ठा प्रदर्शन करेंगे। ईंधन और दैनिक आवश्यकताओं की कीमतें आसमान छू रही हैं जबकि श्रमिकों की मजदूरी तो नहीं बढ़ रही है।

भिवंडी में मुख्य उद्योगों में से एक जो पावरलूम जैसे क्षेत्र है, वह गंभीर संकट का सामना कर रहा है क्योंकि इनपुट की लागत बढ़ गई है। कई पावरलूम उद्योग नहीं चल रहे हैं और इसका नुकसान मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले 5 महीनों से हड़ताल पर रहने वाले ST श्रमिकों की तरह बहुत कम वेतन पाने वाले अन्य श्रमिकों की भी यही हकीक़त है। मुट्ठी भर अमीर कॉरपोरेट्स का पक्ष ले रही वर्तमान प्रणाली को बदलने की आवश्यकता पर उन्होंने बात की, और लोगों को एक बेहतर समाज के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया; एक ऐसा समाज जिसमें निर्णय लेने की ताक़त लोगों के हाथों में होगी।

AIFAP पुस्तिका, “क्यों मुद्रीकरण, निगमीकरण और निजीकरण आपके लिए हानिकारक हैं!” व्यापक रूप से वितरित की गयी।

जोर से नारे लगाते हुए और मांगपत्र को अधिकारियों को सौंपकर प्रदर्शन समाप्त हुआ।

 

 

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