कामगार एकता कमेटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) के शेयरों की आंशिक बिक्री के द्वारा उनका निजीकरण पसंदीदा रणनीति रही है। 2014 के बाद से अब तक 36 CPSE का आंशिक रूप से निजीकरण किया गया है। कई CPSE में, शेयरों को बार-बार बेचा गया और सरकारी शेयरधारिता को 50% के करीब लाया गया है।
सरकार का तर्क है कि शेयरों की बिक्री निजीकरण नहीं है क्योंकि नियंत्रण सरकार के पास रहता है, भारतीय मज़दूरों द्वारा यह तर्क स्वीकार नहीं किया जाता है। वे जानते हैं कि शेयरों की बिक्री निजीकरण की दिशा में एक कदम है और इसका विरोध किया जाना चाहिए।
एलआईसी के शेयरों के एक हिस्से की बिक्री किसी CPSE के शेयरों की अब तक की सबसे बड़ी बिक्री होगी। एलआईसी देश का सबसे बड़ा वित्तीय संस्थान है। इसके निजीकरण की दिशा में किसी भी प्रयास का विरोध न केवल CPSE के सभी मज़दूरों द्वारा किया जाना चाहिए, बल्कि इसके राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए सभी मज़दूरों द्वारा किया जाना चाहिए।
निम्नलिखित CPSEs जिनका 2014-15 और 2020-21 के बीच उनके शेयरों की बिक्री से आंशिक रूप से निजीकरण किया गया:
1. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड
2. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (2)
3. कोल इंडिया लिमिटेड (2)
4. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड
5. कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (2)
6. ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (2)
7. इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (2)
8. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड
9. जनरल इन्सुरंस कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड
10. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड
11. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (5)
12. आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड
13. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (2)
14. भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड
15. भारतीय रेलवे फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड
16. इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड
17. मिश्रा धातु निगम लिमिटेड
18. मिश्र धातु निगम लिमिटेड
19. एमएमटीसी लिमिटेड
20. MOIL लिमिटेड
21. एमएसटीसी लिमिटेड
22. नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (2)
23. नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (2)
24. एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड
25. एनएचपीसी लिमिटेड (2)
26. एनएलसी इंडिया लिमिटेड
27. एनएमडीसी लिमिटेड (2)
28. एनटीपीसी लिमिटेड (4)
29. पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
30. रेल टेल कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड
31. रेल विकास निगम लिमिटेड
32. राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
33. आरईसी लिमिटेड
34. राइट्स लिमिटेड (2)
35. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (2)
36. द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
नोट: कोष्ठक में दिया गया आकडे दर्शाता है कि इस अवधि के दौरान कितनी बार शेयर बेचे गए; अन्य सीपीएसई के मामले में, शेयर एक बार बेचे गए थे।
(5 अप्रैल 2022 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिए राज्य मंत्री, वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए उत्तर के आधार पर संकलित सूची)
यह सारी सार्वजनिक कंपनी आम लोगों की श्रम शक्ति और उनके करों से बनाई गई है । नाटकीय तौर से नुकसान दिखाकर उसे निजी मुनाफाखोरों के सुपुर्द कर दिया जाता है । इन निर्णयों में आम लोगों कहीं कोई राय नहीं ली जाती उनकी कोई भागीदारी नहीं दिखती। नकाब तो लोकतंत्र का बना रखा है लेकिन परदे के पीछे महज कुछ लोग ही हैं जिन्हें बेशुमार दौलतवालों की सूची में रहना है और पूरे देश के संसाधनों उत्पादन साधनों पर अपना प्रभुत्व बनाए रखना है । 75 सालों से बदलनेवाली पार्टियां तो महज उनके लिए मैनेजर का कार्य करती हैं । यह मजदूर किसानों का लोकतंत्र बिल्कुल नहीं हो सकता ।