कॉम. जी. हिंगे, सर्कल सचिव, महाराष्ट्र, बीएसएनएलईयू से प्राप्त
अभी तीन प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर हैं और एक सरकारी। तीनों प्राइवेट ऑपरेटर में विदेशी हिस्सेदारी है और तीनों विदेशी इक्विपमेंट का उपयोग करते हैं । जबकि बीएसएनएल में सरकार की 100% हिस्सेदारी है और बीएसएनएल 4G में स्वदेशी इक्विपमेंट का उपयोग कर रही है और सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा दे रही है और स्वदेशी पर जोर दे रही है।
लेकिन ये अचम्भे की बात है कि युनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) ने करीब 13000 करोड़ का कनेक्टिविटी प्रोग्राम प्राइवेट ऑपरेटरों को दिया जिनमें विदेशी हिस्सेदारी और विदेशी इक्विमेंट है और उसे बॉर्डर इलाके या LWE एरिया में साइट लगाना है जहां सुरक्षा एक प्रमुख फैक्टर है।
आखिर क्या कारण रहा कि USOF ने कुछ निजी ऑपरेटर का फेवर किया और बीएसएनएल को किसी न किसी कारण से कोई काम ही नही दिया। कम से कम इसका कारण तो जानने का हक तो है। USOF के इस तरह के काम का जांच तो जरूर होनी चाहिए।