16 प्रमुख रेलवे स्टेशनों का निजीकरण पहले की योजना के अनुसार जारी रहेगा

कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

29 सितंबर 2022 को सरकार ने नई दिल्ली, अहमदाबाद और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी, मुंबई) स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये मंजूर किए।

रेल मंत्री ने कहा कि पुनर्विकास इंजीनियरिंग-खरीद-निर्माण (ईपीसी) मॉडल पर किया जाएगा। इसका मतलब है कि सरकार स्टेशनों के आधुनिकीकरण पर स्वयं पैसा खर्च करेगी और काम करने के लिए एक कंपनी नियुक्त करेगी। उन्होंने कहा कि यह मॉडल पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल की जगह इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मॉडल सुनिश्चित करेगा कि इन स्टेशनों का उपयोग करने वाले यात्रियों पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े। उन्होंने कहा, “रेलवे मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग को सेवा देता है इसलिए यात्रियों पर कोई अतिरिक्त बोझ अच्छा नहीं है … इन सभी स्टेशनों को ईपीसी मोड में पुनर्विकास करना एक सचेत निर्णय है।” पीपीपी मॉडल के उपयोग का अर्थ होता स्टेशन का निजीकरण। निजी कंपनी इसका आधुनिकीकरण करने के लिए पैसे का निवेश करती और स्टेशन सुविधाओं का उपयोग करने के लिए शुल्क या किराया वसूल करती।

अगर किसी को लगता है कि जहां तक मेहनतकशों का सवाल है, सरकार अचानक बहुत ज्यादा उनकी चिंता करने लगी है, तो नीचे दी गई खबर उन्हें बताएगी कि वास्तव में कुछ भी नहीं बदला है। पिछली सरकार की तरह, जब से भारतीय और विदेशी इजारेदारों के आदेश के अनुसार कांग्रेस सरकार द्वारा निजीकरण और उदारीकरण के माध्यम से वैश्वीकरण की नीति शुरू की गई थी, तब से हर सरकार इसी नीति को लागू करके इजारेदारों की सेवा करने की पूरी कोशिश करती है। साथ ही, हर सरकार लोगों को यह समझाने की कोशिश करती है कि उसके दिल में लोगों के हित हैं, हालांकि उसके कार्य बार-बार विपरीत दिखाते हैं।

एक ऐसी कार्रवाई में जो रेल मंत्री की कही गई बातों से पूरी तरह अलग है, अब यह सामने आया है कि निजामुद्दीन (नई दिल्ली में), पुरानी दिल्ली, पुणे, कोयंबटूर, बैंगलोर सिटी, पुणे, चेन्नई सेंट्रल, बड़ौदा, भोपाल, दादर (मुंबई में) और कल्याण (मुंबई के पास) सहित 16 स्टेशन को पीपीपी मॉडल के जरिए विकसित किया जाना है।

नई दिल्ली, सीएसएमटी मुंबई और अहमदाबाद में स्टेशनों के पुनर्विकास के मामले में रेल मंत्री ने स्वीकार किया कि पीपीपी मॉडल यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा, जिसके कारण वे पीपीपी मॉडल को नहीं अपना रहे हैं। पीपीपी मॉडल के माध्यम से इन 16 स्टेशनों के पुनर्विकास से इन स्टेशनों का उपयोग करने वाले यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ क्यों नहीं पड़ेगा?

साथ ही यात्रियों के हितों की देखभाल करने के बजाय निजी कंपनियों की मदद के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने बयान दिया, “…निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए विभिन्न मुद्रीकरण मॉडल पर विचार किया जा रहा है।”

इससे स्पष्ट क्या हो सकता है? जाहिर है कि जितना अधिक अपेक्षित लाभ होगा, निजी निवेश के लिए आकर्षण उतना ही अधिक होगा! इसका भुगतान यात्री करेंगे।

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