आंध्र प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं का प्रादेशिक सम्मेलन विशाखापट्टनम मे संपन्न

बिजली संशोधन विधेयक-२०२२ करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं के विरोध में – प्रा.अशोक राव.

कॉमरेड कृष्णा भोयर, राष्ट्रीय सचिव, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रीसिटी एम्पलोईज से प्राप्त रिपोर्ट

बिजली के नये विधेयक के बारे में जानकारी देने के लिए आंध्र प्रदेश में बिजली उद्द्योग में कार्यरत सभी संघटनों का सम्मेलन राजू सितारामन सभागृह विशाखापट्टनम में आयोजित किया गयाl सम्मेलन को ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉईज (AIFEE) के अध्यक्ष कॉमरेड सदृद्दीन राणा, महासचिव कॉमरेड मोहन शर्मा, उपमहासचिव कॉमरेड शमीम उल्ला, कॉमरेड गणपती, प्राध्यापक अशोक राव और कई नेताओं ने संबोधित कियाl इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सचिव कॉमरेड कृष्णा भोयर और कई अनेक नेता उपस्थित थेl

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्राध्यापक अशोक राव ने कहा कि बिजली उद्योग देश का सबसे बडा महत्त्वपूर्ण उद्योग हैl इस उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी का हर घर से संबंध आता हैl १९१०, १९४८ में बिजली के कानून बने थेl उसके बाद २००३ मे बिजली का नया कानून आयाl डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर जब केंद्रीय ऊर्जामंत्री थे तब बनाया गया कानून आम उपभोक्ता के हित में थाl सरकारने २००३ में नया कानून लाया परन्तु पुराने कानून को बदलने के बाद भी आम उपभोक्ता को कोई फायदा नही हुआl २००३ में बिजली के निर्मिति, ट्रान्समिशन और वितरण अलग किये गयेl इसका पहला असर महाराष्ट्र मे एनरौन प्रकल्प के माध्यम से हुआl एनरौन निजी प्रकल्प की वजह से २५ हजार करोड रुपये का घाटा महाराष्ट्र सरकार को हुआl बिजली का निर्मिति विभाग निजी घराने को सौंपने का देश का यह पहला प्रयोग थाl इसके बाद ३४ थर्मल पॉवर स्टेशन निजी घरानो के लगाये गएl बिजली बनाने वाली मशीनें चीन से खरीदी गईंl देश की मौजूदा सरकार ने निजी घरानों को ट्रान्समिशन लाईनें बिछाने की अनुमती दी हैl मगर ग्रिड की जवाबदारी कौन संभालेंगा?

बिजली का क्षेत्र नए विधेयक के मुताबिक निजी हाथों मे चला गया तो, इस उद्योग मे काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की जवाबदारी कौन लेगा? बिजली उद्योग की जमीन कम दामाँ पर निजी घरानों को बेची जाएगीl वन नेशन, वन ग्रिड, वन प्राईस और वन फ्रिक्वेन्सी, यह सरकार की नई नीति हैl इस नीति की जवाबदारी कौन लेगा?
यह सब गलत बात हैl बिजली उद्योग वायर का उद्योग है, तार से तार जोडकर बिजली हर उपभोक्ता को सप्लाय की जाती हैl यह उद्द्योग टेलिफोन जैसा बिना तार से चलने वाला उद्द्योग नहीं हैl इस बात को भी समझने की जरूरत हैl

सामान्य उपभोक्ता को बिजली के नए विधेयक के बारे में समझाने की जरुरत हैl प्रधानमंत्री जो बाते कर रहे हैं, उनको जमीनी हालत की जानकारी नहीं हैl नये विधेयक के मुताबिक सभी प्रॉफिट का बिजली क्षेत्र निजी घरानों को सौंपा जायेगा और जिस क्षेत्र मे नफा नही मिलेगा वो सरकारी कंपनी के हाथ में रहेगा l

बिजली निर्माण में ८० प्रतिशत खर्च होता है और २० प्रतिशत वितरण और पारेषण पर खर्च होता हैl हमको निर्माण में होने वाला खर्च कम करने की जरूरत हैl सोलर एनर्जी नया पर्याय उपलब्ध हुआ हैl इस बारे में भी हमें विचार करना होगाl गुजरात सरकार १५ रुपये प्रति यूनिट पर बिजली खरीदकर बेच रही है l सरकार को ५००० करोड़ रुपये का घाटा हुआ हैl पंजाब सरकार को भी ३ हजार करोड रुपये का घाटा हुआ हैl सरकारी कंपनियों ने बिजली खरीद ने के जो करार करके रखे हैं, उनमें बहुत बडा भ्रष्टाचार हैl २००९ में जो सर्वे वर्ल्ड बँक ने किया था, ऊस सर्वे के मुताबिक दुनिया के पूर्व-कम्युनिस्ट देशों में आज भी बिजली का निजीकरण नही किया गया हैl केंद्र सरकार को इस बारे में भी सोचने की जरूरत हैl

ग्राहक सस्ते दामों पर बिजली चाहते हैंl बिजली की सर्विस मे सुधार चाहते हैंl जो नया विधेयक लाने की सरकार कोशिश कर रही अगर उससे यह भविष्य में नहीं किया गया तो यह विधेयक आम उपभोक्ता के विरोध में हैl उस कानून का विरोध करना एक जरुरी बात बन गई हैl

AIFEE की जनरल कौंसिल बैठक

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रीसिटी एम्पलोईज की दो दिवसीय जनरल कौंसिल की बैठक विशाखापट्टनम आन्ध्र प्रदेश में दिनांक ९ एवं १० अक्टूबर २०२२ को संपन्न हई। इस बैठक में उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, ओडीसा, बिहार, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, भाकड़ानंगल, हिमाचल, पुडूचेरी जैसे विभिन्न प्रदेशों से १४२ ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रीसिटी एम्पलोईज से सल्लग विभिन्न यूनियनों के नेता उपस्थित थेl दो दिवसीय बैठक में बिजली का नया संशोधन विधेयक २०२२, विभिन्न रराज्यों में बिजली उद्योग का किया जा रहा निजीकरण, फ्रेचाईजीकरण, प्रदेशों के बिजली उद्योग की आर्थिक स्थिति, संविधा वर्कर्स, कंत्राटी एवं आऊटसोर्सिंग वर्कर्स की समस्याएं, ठेका मजदूरों को कंपनियों मे समाविष्ट करना, पुरानी पेन्शन की बहाली, ईपीएफ-९५ पेन्शन मे बढ़ोत्तरी, रिक्त पदों को भरना, इन समस्याओं के ऊपर गहन चर्चा करके विभिन्न प्रदेशों में आंदोलन करने का निर्णय लिया गयाl

विद्युत कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के द्वारा विद्युत कर्मियों की आठ सूत्रीय मांगो को लेकर २३ नवंबर २०२२ को संसद भवन दिल्ली पर आयोजित बिजली उधोग बचाओ, देश बचाओ मार्च को सफल बनाने हेतु गहन विचार विमर्श किया गया। उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, ओडीसा, बिहार, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, भाकड़ानंगल, हिमाचल, पुडुचेरी से हजारों बिजली कर्मचारी और अभियंता बिजली उद्योग बचाओ, देश बचाओ का नारा लेकर दिल्ली की और कूच करेंगे और संसद भवन का घेराव करेंगेl

बैठक में महाराष्ट्र से कॉमरेड कृष्णा भोयर, महेश जोतराव, एस.आर. खतिब, सलाउद्दीन नाकाडे और प्रकाश राठोड उपस्थित थेl

राष्ट्रीय कौन्सिल बैठक में पारित विभिन्न प्रस्ताव

१) बिजली संशोधन विधेयक २०२२ वापिस लिया जाए।

२) बिजली क्षेत्र मे मौजूद सभी निजी लाइसेंस और फ्रैंचाइजी रद्द करो।

३) सभी राज्य के बिजली बोर्ड का पुनर्गठन किया जाएl

४) सभी मंजूर रिक्त पदें भरी जाएंl

५) संविदा, आऊटसोर्सग भर्ती बंद कर नियमित भर्ती करो। वर्तमान में संविदा तथा आउटसोर्स में कार्यरत कर्मियों को नियमित करो।

६) सभी जनविरोधी मजदूर विरोधी श्रम कानूमाँ को समाप्त करो।

७) पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करो।

८) ईपीएफ-९५ पेन्शन मे बढ़ोतरी करोl

९) समान कार्य के लिए समान वेतन का फार्मूला लागू करो।

१०) खाद्य सुरक्षित भारत सुनिश्चित किया जाए।

११) मानव अधिकार के रूप में उर्जा के अधिकार को सुनिश्चित करो।

कॉमरेड कृष्णा भोयर, राष्ट्रीय सचिव, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रीसिटी एम्पलोईज

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