पुरी में 30 नवंबर को एआईआरएफ के 98वें वार्षिक अधिवेशन में डेलीगेट सेशन का आयोजन

प्राईवेट सेक्टर की नजर रेल की कीमती जमीनों पर: शिवगोपाल मिश्रा

ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन (एआईआरएफ) 98वें राष्ट्रीय अधिवेशन के आखिरी दिन सबसे महत्वपूर्ण डेलीगेट सेशन में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि प्राईवेट सेक्टर की नजर सिर्फ भारतीय रेल की कीमती जमीनों पर है, उन्हें न रेल से मतलब है और न ही रेलयात्रियों और रेलकर्मियों से कोई सरोकार है, लेकिन एआईआरएफ के रहते उनकी कोई मंशा पूरी होने वाली नहीं है। महामंत्री ने साफ कर दिया है कि हम रेल को बचाएंगे भी और पुरानी पेंशन को बहाल भी कराएंगे। अध्यक्ष डा. एन कन्हैया ने कहाकि आज सरकार संसद में रेल के निजीकरण से इनकार करती है, लेकिन मोनोटाइजेशन के नाम पर रेल को बेचने की ही साजिश की जा रही है।

डेलीगेट सेशन में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने लगभग सभी मसलों पर विस्तार से अपनी बात रखी, उन्होंने बताया किन किन विषयों पर सरकार से बात चल रही है और वो किस स्तर पर है। महामंत्री ने कहा कि सच्चाई ये है कि आज भारतीय रेल अब तक के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। सरकार निजीकरण को बढ़ावा देना चाहती है, जबकि सच्चाई ये है कि प्राईवेट सेक्टर की नजर सिर्फ भारतीय रेल की कीमती जमीनों पर है ताकि वो यहां बड़े-बडे माँल और शापिंग सेंटर वगैरह खोल कर अपना खजाना भर सकें। महामंत्री ने साफ किया कि मौद्रीकरण समस्या का स्थाई समाधान बिल्कुल नहीं है।

उन्होंने सवाल उठाया कि प्राईवेट सेक्टर 175 रुट पर लक्जरी ट्रेन चलाने में आखिर क्यों रुचि दिखा रहा है, अगर उन्हें ट्रेन चलानी ही है तो अपनी पटरी बिछाएं, इंजन और डिब्बे बनाएँ, स्टेशन और बनाएं, स्टाफ की नियुक्ति करें और बाकि इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करें और ट्रेन चलाएं, हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सब कुछ भारतीय रेल का सिर्फ रेवेन्यू उनका रहे, ये कभी होने वाला नहीं है।

महामंत्री ने कहा कि आज हमारे उत्पादन इकाइयों पर भी खतरा है, उन्हें बंद करने की साजिश की जा रही है। जबकि हमारे प्रोडक्शन यूनिट बेहतर काम कर रहे हैं, विदेशों से काफी कम कीमत पर इँजन और डिब्बे तैयार कर रहे हैं। हम नई तकनीक के नाम पर सरकार को मनमानी करने नहीं दे सकते। इन हालातों में सरकार की मंशा पूरी होने वाली नहीं है।

जहां तक पुरानी पेंशन और भारतीय रेल को बचाने की बात है, ये हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। चूंकि लड़ाई बड़ी है, इसीलिए हमने एआईआरएफ की स्टैंडिग कमेटी में फैसला लिया था कि हर स्टेशन पर रेल बचाओ, देश बचाओ अभियान समीति के गठन का फैसला किया है, ताकि इस समीति के जरिए आम आदमी को भी इस अभियान के साथ जोड़ा जा सके।

आप सब जानते हैं कि लड़ाई बड़ी है, पुरानी पेंशन की बहाली के लिए राज्यकर्मचारी, शिक्षक समेत तमाम लोग अपने स्तर पर संघर्ष कर रहे हैं, हमारी कोशिश है कि सभी को साथ लेकर भारत बंद का फैसला किया जाए, भारत बंद होगा तो भारतीय रेल का चक्का भी जाम होगा। इन सब पर हमारी तैयारी काफी आगे बढ़ चुकी है, हम चाहते हैं कि हड़ताल के ऐलान के पहले अपनी तैयारी को मुकम्मल कर लिया जाए। जल्दी ही एआईआरएफ की स्टैंडिग कमेटी में आंदोलन की रुपरेखा को अंतिम रुप दे दिया जाएगा।

जहां तक यूनियन की मान्यता के लिए गुफ्त मतदान का सवाल है, सरकार पीछे हट रही है, क्योंकि उसे पता है कि उनकी पार्टी से जुड़े संगठन को रेलवे में कोई पूछने वाला नहीं है, किसी भी जोन में उनका आना संभव नहीं है। यही वजह है कि कुछ ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें भी कुछ स्थान मिल सके। मसलन कुल वोटिंग का 51 फीसदी वोट पाने वाले को ही मान्यता मिलेगी। हास्यास्पद तो ये है कि 30 से 32 प्रतिशत वोट पाने पर देश में सरकार बन जाती है और 26 से 28 प्रतिशत वोट पाकर लोग सांसद और विधायक के साथ मंत्री बन जाते हैं, लेकिन यूनियन की मान्यता के लिए 51 प्रतिशत वोट की अनिवार्यता रखी गई है, ऐसे में हमे पूरी ताकत संगठन को आगे बढ़ाने में भी लगाना होगा।

महामंत्री ने कहा कि जैसा कि आप सब जानते हैं कि 2024 में एआईआरएफ की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने वाले हैं, हम इस शताब्दी वर्ष को बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी कर रहे हैं, इस दौरान देश भर में विभिन्न आयोजन करने की योजना है। इसके अलावा हमारी कोशिश है कि इस अवसर पर एक डाक टिकट जारी कराया जाए। ये भी अंतिम चरण में है, जल्दी ही इसकी भी सूचना आप सभी को मिल जाएगी।

अध्यक्ष डा. एन कन्हैया ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए और कहा कि आज सरकार अपना भरोसा खोती जा रही है, वो कहती कुछ है, लेकिन करती कुछ और ही है। संसद में जब सवाल उठता है तो सरकार कहती है कि भारतीय रेल का निजीकरण नहीं किया जाएगा, लेकिन मोनोटाईजेशन के नाम पर दूसरे रास्ते से रेल को टुकड़े- टूकडे करने की साजिश की जा रही है। ये सब चलने वाला नहीं है, हम सरकार की हर गतिविधियों पर नजर रखे हुए है, उन्हें समय पर माकूल जवाब दिया जाएगा।

डेलीगेट सेशन में कई मसौदा प्रस्ताव रखे गये, जिन्हें सर्वसम्मति पास किया गया। जिसमें मुख्य रुप से एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन बहाल की जाए, लगभग 18 महीने की अवधि का महंगाई भत्ते का शीघ्र भुगतान किया जाए, भारतीय रेल में नेशनल मोनोटाइजेशन पालिसी को तत्काल बंद किया जाए, यूनियन की मान्यता का चुनाव शीघ्र हो, रेलवे में रिक्त पदों पर भर्ती जल्द की जाए, भारतीय रेल की महिलाओं में कार्यरत महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर बेसिक सुविधाएं तुरंत उपलब्ध कराई जाएं, इसके अलावा रेलवे कालोनियों की दशा में सुधार हो।

डेलीगेट सेशन को कार्यकारी अध्यक्ष जे आर भोसले, कोषाध्यक्ष शंकरराव, जोन के महामंत्री के एल गुप्ता ने भी संबोधित किया। इसके अलावा एस के त्यागी, आशीष विश्वास, मुकेश गालव, गौतम मुखर्जी, ए डिक्रूज, एस एन पी श्रीवास्तव, मुकेश माथुर, दिनेश पांचाल, जया अग्रवाल, प्रवीना सिंह, चंपा वर्मा, आर डी यादव, एल एन पाठक, आर के पांडेय, अनूप शर्मा समेत तमाम अन्य लोगों ने भी संबोधित किया। ईस्ट कोस्ट रेलवे श्रमिक यूनियन के महामंत्री पी के पाटसानी, अध्यक्ष एम एसएस वी राव, जोनल सेक्रेटरी दामोदर अग्रवाल को डेलीगेट सेशन में एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा, अध्यक्ष डा. एन कन्हैया भव्य राष्ट्रीय अधिवेशन पर बधाई दी और कहा कि यूनियन भले ही छोटी हो, लेकिन यहां के नेतृत्व का दिल बड़ा है और सभी का बहुत अच्छे से ख्याल रखा। इस आयोजन में अहम रोल निभाने वाले सभी कॉमरेड को महामंत्री ने सम्मानित किया।

महेन्द्र श्रीवास्तव
फोन 9140369128

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