नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलाईज यूनियन की रिपोर्ट
केन्द्रीय, राज्य, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्वायत्त निकाय, शैक्षणिक संस्थानों में 1 जनवरी 2004 एवं उसके पश्चात भर्ती कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल कराने के उदेश्य से संघर्ष करने हेतु कर्मचारियों के विभिन्न संगठन, एसोसिएशन एक मंच पर आ गए हैं। नई दिल्ली में 21 जनवरी को संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार, राजस्थान में रेलवे, रक्षा, डाक, आरएमएस, राज्य कर्मचारी, शिक्षक, सार्वजनिक उपक्रम, रोडवेज, निगम आदि से संलग्न श्रमिक संगठन एवं एसोसिएशन के प्रमुख पदाधिकारियों का संयुक्त मंच बनाया गया है। “पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्त मंच” की बैठक 08/02/2023 को हुई, जिसमें संयोजक मुकेश माथुर, सह-संयोजक विनोद मेहता, राम सिंह, राजेंद्र मीना, सियाराम, एस. आई. जैकब, महावीर सिहाग, बी. एम. सुण्डा, रजनीकान्त शर्मा, के. एस. अहलावत, मुकेश चतुर्वेदी, सौरभ दीक्षित, बसंत अवस्थी, मालीराम, बेगराज कोथ, विनोद मीना, जितेंद्र चौहान, मुकेश मीना, संजय मीना, रमेश मीना सहित अनेक प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे।
संयुक्त मंच की बैठक में तय किया गया कि राजस्थान से, 10 से 20 फरवरी के मध्य राष्ट्रपति के नाम 3 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षरयुक्त अपील ऑनलाईन भेजी जाएगी। इसके लिए जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर रेलवे मंडल मुख्यालयों के माध्यम से विभिन्न जिलों, स्टेशन, यूनिट में संपर्क करके अधिक से अधिक युवाओं के हस्ताक्षर कराए जाएंगें और उन्हें इस अभियान से जोड़ा जाएगा। 21 फरवरी को विभिन्न यूनिटों पर प्रदर्शन किए जाएंगे। 21 मार्च को जिला स्तर पर रैलियों का आयोजन किया जाएगा। 21 अप्रैल को विभिन्न यूनिटों पर सभाएं आयोजित की जाएंगी। 21 मई को जिला स्तर पर परिवारजन को सम्मिलित करते हुए जुलूस निकाला जाएगा। 21 जून को राज्य स्तर पर राजधानी में रैली आयोजित की जाएगी। जुलाई-अगस्त में मानसून सत्र के दौरान दिल्ली में विशाल रैली आयोजित होगी। इसके बाद भी यदि केन्द्र सरकार ने सकारात्मक कार्यवाही नहीं की तब सितम्बर में राष्ट्रीय एनजेसीए की मीटिंग में भावी कार्यवाही पर निर्णय लिया जाएगा।
बैठक में रेलवे एम्प्लाईज़ यूनियन, मजदूर संघ, एससी एसटी एसोसिएशन, ओबीसी एसोसिएशन, राज्य कर्मचारी महासंघ, आयकार कर्मचारी यूनियन, एआईडीईएफ़, बिजली निगम यूनियन, शिक्षक संघ, आरएमएस यूनियन, एनएफ़पीई, ग्रामीण डाक सेवक संघ, कंफेडरेशन आदि के विभिन्न पदाधिकारियों ने कहा कि 35-40 वर्षों तक सेवा करने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पश्चात अपने वेतन के 50% के बराबर पेंशन की गारन्टी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नई पेंशन योजना के सेवानिवृत्ति पश्चात जो उदाहरण सामने आए हैं, उसमें अंतिम आहरित वेतन के 5-8% के बराबर ही पेंशन तय हुई हैं, जो सेवानिवृति पश्चात की आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त है। इसमें पुरानी पेंशन समान महँगाई राहत एवं पेंशन का भी प्रावधान नही है। सेवानिवृत्ति उपरान्त मिलने वाली 40% जमा राशि के निवेश पर भी 18% जीएसटी लगेगा। उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार का कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का दायित्व है इसलिए पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय सरकार को करना ही होगा। विभिन्न नेताओं ने कहा कि यदि पुरानी पेंशन योजना बहाली का निर्णय केन्द्र सरकार नही लेती है, तब कर्मचारी अगामी लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करके इसका जवाब देंगे।