महाराष्ट्र में बिजली दर की वृद्धि अडानी कॉर्पोरेट के लाभ के लिए की जा रही है – कॉम. मोहन शर्मा, महासचिव, ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लोयिज फेडरेशन (AIEEF)

महाराष्ट्र राज्य किसान सभा (ऐटक) के सदस्य की रिपोर्ट पर आधारित

नागपुर में 3 मार्च को सुनवाई के दौरान, बिजली मज़दूरों के नेता, कॉमरेड मोहन शर्मा, महासचिव, AIEEF ने कहा कि महाराष्ट्र में बिजली दर की वृद्धि अडानी कॉर्पोरेट के लाभ के लिए की जा रही है। उन्होंने ने यह भी दावा किया कि यदि बिजली प्रबंधन में उचित सुधार हो तथा राज्य सरकार की जन विरोधी भूमिका बदले तो बिजली की कीमत बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है।

यह भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि बिजली अधिनियम 2003 की धारा 11 के अनुसार, केंद्र ने आयातित कोयले आधारित बिजली उत्पादन प्लांटों को पूर्ण क्षमता से बिजली का उत्पादन करने का आदेश दिया है। ये सभी निजी पूंजीवादी कंपनियों, कॉर्पोरेट परिवारों के स्वामित्व में हैं। उदाहरण के लिए, टाटा, अडानी, मुद्रा, एस्सार-सल्लाया, जेएसडब्ल्यू, ट्रॉम्बे, उडुपी, मिनाक्षी ऊर्जा और तोरंगल जेएसडब्ल्यू। बिजली की सर्वोच्च माँग के समय, महावितरण (महारष्ट्र सरकार की बिजली वितरक कंपनी) को उनसे प्रति यूनिट 18 से 20 रुपयों की दर से बिजली खरीदना पड़ी थी। इस महंगी बिजली की खरीद की वजह से महावितरण को 40 हज़ार करोड़ रुपयों की मार पड़ी है। महाजेंको, इस सरकारी बिजली उत्पादन कंपनी की प्रति यूनिट का न्यूनतम दर रु. 2.50 है और अधिकतम है रु. 5.46; इसके बावजूद रु. 18 से रु. 20 की दर से बिजली खरीदने की वजह से महावितरण घाटे में है।

उपरोक्त सभी को ध्यान में रखते हुए अगर गंभीरता से अगर विचार किया जाए तो यह सूर्यप्रकाश जैसा साफ़ होगा कि बिजली दर की वृद्धि की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है।
राज्य सरकार जो ज़बरदस्ती से बिजली दरों की वृद्धि कर रही है, उसके खिलाफ मज़दूरों और किसानों के संगठन दृढ़ता से जन आन्दोलन कर रहे हैं।

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments