मध्य प्रदेश विद्युत् मंडल अभियंता संघ का आहवान
जंगल मे सीधे वृक्ष सबसे पहले काटे जाते हैं!
क्या वजह है कि ट्रांसमिशन का प्राइवेटाइजेशन करना पड़ रहा है जबकि
- विगत कई वर्षों से प्रणाली उपलब्धता के हर मानक पर लगातार खरा उतर रही है कंपनी।
- पॉवर ह्रास के हर लक्ष्य को प्राप्त कर साल दर साल हानियाँ कम कर राष्ट्र की बेहतर प्रणाली में शामिल है कंपनी।
- राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है कंपनी।
- अत्यंत कम मैनपॉवर के साथ कई वर्षों से प्रणाली को सफलतापूर्वक मैनेज कर रही है कंपनी।
- परियोजना क्रियान्वयन में एक नहीं, कई कई परियोजनाएं समय से पूर्व पूरी करने का कीर्तिमान।
- कई परियोजनाएं केवल अन्य प्रोजेक्ट की बचत से ही पूरी करने के इतिहास।
- डिस्कोम के कई वर्षों का बैलेंस-पेमेंट राइट ऑफ एक नहीं, कई बार करने का इतिहास।
- सरकार पर किसी भी तरह का कोई बोझ कभी भी नहीं देने का तथा हरदम लाभ देने का इतिहास।
- विद्युत कर्मियों द्वारा दिन रात एक कर 24 घंटे निर्बाध विद्दयुत आपूर्ति की जा रही है जबकि बिद्युत कर्मियों को पब्लिक के बीच नकारात्मक छवि बनाने का कृत्य सरकार के द्वारा किया गया है।
- दीर्घकाल से ओ.एस. को लटकाकर रखा जा रहा है जिससे भर्ती प्रक्रिया को बाधित रखा जा सके। मान. मुख्यमंत्री जी के 1 लाख पदों पर भर्ती की घोषणा के बावजूद विद्युत् कंपनियों में मात्र 459 पदों की भर्ती का विज्ञापन खेदजनक है। अन्य पदों पर भी शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जानी चाहिए।
- एक सोची समझी रणनीति के अंतर्गत एक ही कंपनी में एक ही पद पर नियुक्त कर्मियों के लिए अलग अलग वेतन मान बना कर स्थापित ढांचे को निरंतर कमजोर किया जा रहा है।
TBCB ट्रांसमिशन कंपनी का पिछले दरवाजे से प्राइवेटाइजेशन करना है। जो कुछ हद तक हो भी चुका है परंतु अब हमें इसे और आगे बढ़ने से रोकना होगा।
जब बात हमारे अस्तित्व की है तो हम सभी को इतना सामर्थ्य अवश्य जुटा लेना चाहिए कि कोई हमारे अस्तित्व पर आंख उठा कर न देख सके। हमें संकल्पित होना होगा, व्यक्तिगत हानि-लाभ के फेर से बाहर निकलना होगा, विकल्प रहित संकल्प करना होगा।
यदि विद्युत् कंपनियाँ होंगी तो ही सेलरी, पेंशन, पद और मानसम्मान होगा।