कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज, 24 मार्च 2023 को एक बयान जारी किया कि नई पेंशन योजना (एनपीएस) पर वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा और समिति अपने सुझाव देगी।
जब भी कोई आंदोलन तीव्र और व्यापक हो जाता है, तो मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा करना सरकारों की एक आम रणनीति है। इसका मकसद गुस्से को बुझाना और आंदोलनकारियों को घर भेजना होता है।
समिति के विचारार्थ विषय और सदस्य सरकार द्वारा ऐसे तय किए जाते हैं कि इसकी सिफारिशें सरकार की इच्छा के अनुरूप होती हैं।
हमने हाल ही में देखा कि किसानों के एक साल के आंदोलन के बाद, केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कार्यान्वयन की किसानों की प्रमुख मांग पर एक समिति के गठन की घोषणा की। इसके ज्यादातर सदस्य वे हैं जो एमएसपी लागू करने का विरोध करते हैं। सरकार ने किसानों से समिति में अपने प्रतिनिधियों को नामित करने के लिए कहा, लेकिन किसान संगठनों ने समिति का बहिष्कार करने का फैसला किया, यह महसूस करते हुए कि यह एक पक्षपातपूर्ण समिति है।
मज़दूरों को अपनी हड़ताल वापस लेने के लिए इसी रणनीति का अनगिनत बार इस्तेमाल किया गया है।
वित्त मंत्री द्वारा घोषित समिति एनपीएस के बारे में है और यहां तक कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के बारे में भी नहीं है। पूरे देश में ओपीएस की बहाली के लिए लड़ रहे कर्मचारियों को वित्त मंत्री की घोषणा से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। केवल उनका निरंतर एकजुट संघर्ष यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद उनकी सही पेंशन मिले।