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बैंकों का निजीकरण राष्ट्रीय हित के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के हितों की सेवा के लिए हैं
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बैंकों का निजीकरण राष्ट्रीय हित के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के हितों की सेवा के लिए हैं
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