मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
महिलाएं हमारे कार्य बल का आधा हिस्सा हैं। बड़ी संख्या में कामकाजी महिलाओं को अपने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। जब आधा मजदूर वर्ग असुरक्षित और कमजोर महसूस करता है, तो पूरे वर्ग की लड़ने की क्षमता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काफी कम हो जाती है। न्याय और दोषियों को सजा की मांग करने वाले पहलवानों की लड़ाई इस प्रकार न केवल सभी कामकाजी महिलाओं की बल्कि पूरे मजदूर वर्ग और लोगों की लड़ाई है।
23 मई की शाम को प्रदर्शनकारी पहलवानों के लिए न्याय की मांग को लेकर जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक कैंडल लाइट जुलूस निकला गया, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से शुरू हुए, पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के एक महीना होने को चिन्हित करने के लिए इस जुलूस का आयोजन किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि उन्हें अपने पद से हटाया जाए तथा गिरफ़्तार किया जाए और सज़ा दी जाए।
मज़दूरों, किसानों, महिलाओं, छात्रों और नौजवानों के संगठनों और सैकड़ों लोग रोजाना धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त कर रहे हैं। पहलवानों के लिए न्याय और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने की मांग को लेकर विशाल रैलियां आयोजित की गई हैं।
23 मई को हुये कैंडल लाइट जुलूस में शामिल लोगों ने अपनी मांगों पर ध्यान दिलाने के लिए तख्तियां और बैनर लिए हुए थे। प्रदर्शनकारियों के जुझारू नारों और प्रतिरोध के जोशीले गीतों से मध्य दिल्ली में अशोक रोड और राजपथ गूंज रहा था, जो न्याय के लिए संघर्ष जारी रखने के लोगों के संकल्प को उजागर करता है।