ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) का आहवान
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 –
संसद के शीतकालीन सत्र में सावधान रहने और सशक्त प्रतिकार के लिए तैयार रहने की जरूरत
संसद का शीतकालीन सत्र 04 दिसम्बर से प्रारम्भ हो रहा है। यह सत्र 22 दिसम्बर तक चलेगा और इसमें कुल 15 बैठकें होंगी। फिलहाल जारी एजेंडा के अनुसार शीतकालीन सत्र में रखे जाने वाले बिलों की सूची में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 नहीं है। हमें ध्यान रखना होगा कि वर्ष 2022 के मानसून सत्र में भी यह बिल एजेंडा में नहीं था किन्तु अचानक सपलीमेंटरी सूची में इस बिल को लाकर लोकसभा में पारित कराने की कोशिश की गई थी। बिजली कर्मियों की जागरूकता के चलते लोकसभा में लगभग सभी विपक्षी दलों ने बिल का जोरदार विरोध किया और बिल को संसद की बिजली मामलों स्टैंडिंग कमेटी को संदर्भित कर दिया गया था।
स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट अभी नहीं आई है किन्तु हम सब जानते हैं कि सरकार जब चाहेगी तब स्टैंडिंग कमेटी रिपोर्ट दे देगी और वही रिपोर्ट देगी जो सरकार चाहती है। स्टैंडिंग कमेटी ने ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन या किसी अन्य बिजली कर्मियों के फेडरेशन को अभी तक वार्ता का समय नहीं दिया है। जबकि स्टैंडिंग कमेटी कारपोरेट घरानों के प्रतिनिधि संगठनों से विस्तृत वार्ता कर चुकी है और संभवतः उन्हीं को बिजली के क्षेत्र में स्टेक होल्डर मानती है। हमारी दृष्टि में बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेक होल्डर बिजली के उपभोक्ता और बिजली कर्मी हैं जिन्हें दरकिनार कर दिया गया है। यह अत्यधिक गम्भीर बात है।
यह भी ध्यान देने की बात है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 पारित हुए बिना, केन्द्र सरकार समय समय पर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) रूल 2022/2023 के जरिए निजीकरण का अपना एजेंडा जारी रखे हुए है।
टैरिफ बेस्ड प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के नाम पर लगभग हर प्रान्त में ट्रांसमिशन का बड़े पैमाने पर निजीकरण चल रहा है।
कोल इंडिया के पास पर्याप्त कोयला भण्डार होने के बावजूद राज्यों के सार्वजनिक क्षेत्र के ताप बिजली घरों को कोयला आयात करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। कोयला आयात में ओवर इनवॉइसिंग के चलते एक विशेष कम्पनी को भारी मुनाफा हो रहा है तो बिजली उत्पादन की लागत बढ़ने का भार पहले से ही आर्थिक रूप से कंगाल हो रही राज्य की बिजली वितरण कंपनियों पर आ रहा है।
मुनाफे वाले क्षेत्र में निजी कंपनियों को सरकारी वितरण कंपनी का नेटवर्क इस्तेमाल कर वितरण का पेरलेल लाइसेंस देना जारी है।
केन्द्र शासित प्रदेशों पुदुचेरी, चंडीगढ़ की मुनाफे में चल रही बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया अभी भी यथावत है।
यह सब चुनौतियां यथावत है। संसद के शीतकालीन सत्र के बाद शीघ्र ही ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन की बैठक होगी जिसमें सभी मामलों पर रणनीति तय की जायेगी।
अतः संसद के शीतकालीन सत्र में हमें निरन्तर सजग रहने की जरूरत है। यदि इस सत्र में इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2022 को पारित कराने की कोई भी एकतरफा कोशिश होती है तो हमें इसका सशक्त प्रतिकार करने हेतु तैयार रहना है।
इन्कलाब जिन्दाबाद!
AIPEF