ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉईज का प्रेस नोट
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉईज
प्रेस नोट फ़रवरी 16,2024
बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 और निजीकरण नीतियों के खिलाफ देश भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया।
बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई) और ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉइज के आह्वान पर लाखों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आज सभी राज्यों की राजधानियों, बिजली कंपनियों के देशभर के मुख्यालय, निर्मिती, वहन, वितरण केंद्र के कार्यालओं पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और विरोध सभाएं की।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉईज कॉम्रेड के. मूर्ती अध्यक्ष, कॉम्रेड शमीउल्ला कार्याध्यक्ष, मोहन शर्मा महासचिव और कृष्णा भोयर उपमहासचिव ने बताया कि हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा, त्रिवेन्द्रम, कोलकता, कर्नाटक, लखनऊ, पटियाला, शिमला, चंडीगढ़, देहरादून, जम्मू, श्रीनगर, जबलपुर, भोपाल, रायपुर, पुणे, मुंबई, औरंगाबाद, कोल्हापूर, सांगली, अकोला, नागपूर, वडोदरा, राजकोट, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, शिलांग, रांची, पटना, और कई प्रमुख थर्मल पावर स्टेशनों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
मोहन शर्माने ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की लिखित प्रतिबद्धता के बाद भी बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को रद्द करने की मांगों का पालन नहीं किया गया है। इसके विपरीत, बिजली की सार्वभौमिक पहुंच के अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए उपभोक्ताओं के परिसर में प्रीपेड स्मार्ट मीटर गैरकानूनी तरीके से लगाए गए हैं। बिजली क्षेत्र के निजीकरण की दिशा में अगले कदम के रूप में ट्रांसमिशन सबस्टेशनों की स्थापना के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली निर्धारित की गई है। और कही राज्यों में समांतर बिजली डिस्ट्रीब्यूशन का परवाना देने का भी निर्णय लिया हैl
विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार विद्युत (संशोधन) नियमों के माध्यम से विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 के अपने निजीकरण एजेंडे को जारी रखे हुए है। मंत्रालय पिछले एक साल से अधिक समय से विद्युत (संशोधन) नियम नामक अधिसूचनाएं जारी कर रहा है। यह कवायद विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग के नाम पर की जा रही है।
बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने गंभीर चिंता के साथ कहा कि लोगों के विरोध और प्रतिरोध संघर्ष के सभी लोकतांत्रिक रूपों को पूरी तरह से नकारते हुए, भारत सरकार एनएमपीएल के नाम पर राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथों में बेचने के लिए आगे बढ़ रही है। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गहरा संकट पैदा हो जाएगा और लोगों के लिए तत्काल और आने वाले दिनों में और अधिक कठिनाई होगी।
कॉम्रेड मोहन शर्मा
राष्ट्रीय महासचिव
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉईज