मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
14 मार्च, 2024 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में विशाल किसान-मज़दूर महापंचायत आयोजित की गई। अनुमान है कि इसमें 40 हजार से ज्यादा किसानों ने हिस्सा लिया।
इस महापंचायत में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। किसान ट्रेन और बस के जरिए महापंचायत में पहुंचे। महिलाओं ने इसमें बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
इस महापंचायत को केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के अलावा, अनेक मज़दूर संगठनों, छात्र संगठनों, महिला संगठनों व नौजवान संगठनों ने अपना समर्थन दिया। मज़दूर एकता कमेटी के कार्यकर्ताओं ने इस महापंचायत में हिस्सा लिया।
सहभागी किसान संगठनों के नेताओं ने महापंचायत को संबोधित किया।
किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार तथा हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के संघर्ष के क्रूर दमन व 21 फरवरी 2024 को खनौरी सीमा पर नौजवान किसान शुभकरण सिंह की हत्या की कड़ी निंदा की।
सभी वक्ताओं ने ऐलान किया कि यह आंदोलन देश में पूंजीवादी लूट खसौट, सांप्रदायिक बंटवारा और मज़दूर-किसान की रोज़ी-रोटी व मौलिक अधिकारों पर हमलों के विरोध में है। सरकार चाहे कोई आए या जाए, हरेक सरकार का रुख मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी रहा है। इसलिए, मज़दूरों और किसानों के अधिकारों की हिफाज़त के लिए आंदोलन जारी रहेगा।
वक्ताओं ने एयरलाइन्स, रेलवे, बंदरगाह, बीमा, बैंक, ऊर्जा और सार्वजनिक क्षेत्र के बहुत सारे उपक्रमों व सेवाओं तथा जल, जंगल, जमीन जैसे संसाधनों का निजीकरण करके राष्ट्रीय संपत्ति को बड़े-बड़े कार्पोरेट घरानों के हाथों सौंपने की सरकार की नीति की कड़ी आलोचना की।
किसान नेताओं की यह शिकायत थी कि सरकार द्वारा कृषि की आवश्यक वस्तुओं में सब्सिडी वापस लेने से उत्पादन की लागत आसमान छू रही है। किसानों को लाभकारी आमदनी नहीं मिल रही है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत फ़सल बीमा का कॉर्पोरेटीकरण कर दिया गया है — कॉर्पोरेट बीमा कंपनियों ने वर्ष 2017 से आज तक किसानों के 57,000 करोड़ रुपये लूट लिए हैं। इन कारणों से किसान और खेत मज़दूर क़र्ज़ के फंदे में फंसे हुए हैं। दूसरी तरफ, बड़े-बड़े पूंजीवादी घरानों का 2014-23 के दौरान, 14.68 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम क़र्ज़े माफ़ कर दिया गया है।
महापंचायत में इस बात पर ध्यान आकर्षित किया गया कि केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को अभी तक नहीं माना है। सभी फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ‘सी2 + 50 प्रतिशत’ लागू नहीं किया गया है। किसानों की क़र्ज़ माफ़ी, बिजली के निजीकरण पर रोक, लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारे को सजा, आदि जैसी किसानों की मांगों पर कोई सरकारी कदम नहीं लिया गया है।
महापंचायत में संकल्प लिया गया कि इन सभी मांगों के लिए संघर्ष जारी रहेगा। इसके आलावा, आन्दोलन में शहीद हुए किसान शुभकरण सिंह की हत्या और किसानों के संघर्ष पर राज्य के दमन के विरोध में, मज़दूरों और किसानों की रोज़ी-रोटी और मौलिक अधिकारों पर हमलों के विरोध में, पूंजीवादी लूट-खसौट और लोगों को धर्म-जाति के आधार पर बांटने के राज्य के प्रयासों के खि़लाफ़, आन्दोलन जारी रहेगा।
23 मार्च को शहीदी दिवस के अवसर पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित करने का भी संकल्प लिया गया।