लोको चालकों की संयुक्त कार्रवाई ने अधिकारियों को अन्यायपूर्ण निलंबन आदेश और मालगाड़ियों को चलाने की असुरक्षित प्रथा को वापस लेने के लिए मजबूर किया

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए), मुंबई डिवीजन, मध्य रेलवे से प्राप्त रिपोर्ट

9 मई 2024 को मध्य रेलवे के मुंबई डिवीजन के व्यस्त कल्याण जंक्शन पर सुबह 17:00 बजे से रात 24:00 बजे तक सात घंटे के लिए मालगाड़ियों की आवाजाही रोक दी गई थी। लगभग 50 सहायक लोको पायलटों (एएलपी) के अस्वस्थ्य की छुट्टी (Sick leave) पर जाने की वजह के कारण मालगाड़ियों की भारी भीड़ लग गई।

वे एक फॉर्मेशन में आगे और पीछे दोनों इंजनों को चलाने के लिए केवल एक एएलपी रखने की नई शुरू की गई प्रथा का विरोध कर रहे थे, जबकि नियम के अनुसार प्रत्येक इंजन में एक लोको पायलट और सहायक लोको पायलट होना चाहिए। पिछले छह महीने से एआईएलआरएसए अपने ऊपर थोपी जा रही इस असुरक्षित प्रथा का विरोध कर रहा था। लेकिन, अधिकारियों ने एक नहीं सुनी ।

जब 9 मई, 2024 को एक एएलपी ने ऐसा करने से इंकार कर दिया, तो उसे तुरंत निलंबित कर दिया गया। इसके कारण उनके अधिकांश सहयोगियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और वे उनकी बहाली और अधिकारियों द्वारा असुरक्षित प्रथाओं को रोकने की मांग करते हुए कल्याण लॉबी में एकत्र हुए। इससे मालगाड़ियों का भारी जमावड़ा हो गया। एएलपी ने फैसला किया था कि अगर कल्याण अधिकारियों ने उनकी मांगें नहीं सुनीं, तो वे इसी तरह कुर्ला और पनवेल ट्रेन की आवाजाही भी बंद कर देंगे।

एएलपी की इस एकजुट कार्रवाई ने अधिकारियों को एएलपी के खिलाफ निलंबन आदेश हटाने के लिए मजबूर कर दिया और वे दो इंजनों को चलाने के लिए केवल एक एएलपी रखने की असुरक्षित प्रथा को रोकने के लिए भी सहमत हुए।

मुंबई डिवीजन के एलपी और एएलपी ने 2022 में इसी तरह विरोध किया था, जब अधिकारियों ने एक नया संयुक्त प्रक्रिया आदेश (जेपीओ) जारी किया था, जिसने एलपी और एएलपी को पर्याप्त आराम देने से इंकार कर दिया था। उस समय कल्याण, पनवेल और लोनावला के एलपी और एएलपी ने संयुक्त रूप से एक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, जिससे 36 घंटों तक ट्रेन की आवाजाही पूरी तरह से बाधित रही थी। मुंबई डिवीजन के एलपी और एएलपी द्वारा बड़े पैमाने पर एकजुट कार्रवाई का सामना करते हुए, अधिकारियों को जेपीओ को तुरंत वापस लेना पड़ा।

2022 और अब मई 2024 में एलपी और एएलपी की ये कार्रवाइयां रेलवे अधिकारियों की कर्मचारी-विरोधी नीतियों को रोकने में सक्षम होने के लिए एकजुट कार्यों की ताकत दिखाती हैं।

 

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