25,000 बिजली कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी और ठेका आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने मुंबई विधान सभा को घेरा

महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी, अधिकारी, इंजीनियर संघर्ष समिति का बयान मुंबई, दिनांक 9.3.2022

मा. प्राजक्ता दादा तनपुरे, ऊर्जा राज्यमंत्री, आंदोलन की जगह पर आए और बयान को स्वीकार करते हुए श्रमिकों को संबोधित किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार किसी भी बिजली कंपनी का निजीकरण नहीं करेगी।

महानिर्मिती, महावितरण, महापारेषण कंपनी के हजारों श्रमिक, अधिकारी, इंजीनियर और ठेका कर्मचारी सुबह 8 बजे से पूरे महाराष्ट्र से आज़ाद मैदान में प्रवेश कर रहे थे। संघर्ष समिति 27 संघटन और 12 अनुबंध आवास श्रमिक संघ के नेतृत्व में मार्च का आयोजन किया गया था। 25,000 से अधिक मार्च में बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों,अधिकारियों और ठेका कर्मियों ने भाग लिया। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे (लखनऊ), बिजली कर्मचारी संघ के महासचिव मोहन शर्मा (नागपुर), विधायक भाई जगताप, विधायक राहुल पाटिल और विधायक बालासाहेब किनिकर ने बिजली कर्मियों को संबोधित किया और कहा कि हालांकि हम सरकी पक्ष के विधायक हैं फिर भी विधान सभा में यह मुद्दा उठायेंगे और बिजिली कम्पनियों का निजीकरण कभी भी नहीं होने देंगे। हम ट्रेड यूनियनों के साथ रहेंगे, ऐसा उन्होंने वादा किया और ऊर्जा मंत्री के स्तर पर जल्द ही बैठक आयोजित करायेंगे उन्होंने कहा ।

मोर्चा के मजदूर नेता संजय ठाकुर, कृष्णा भोयर, आरटी देवनकट, सैयद जरुद्दीन, राजन भानुशाली, दत्तात्रेय गुट्टे, पीबीयूके, सुयोग झुटे, संजय खाड़े, नचिकेत मोरे, एमएस शारिकमसलत, राकेश जाधव, सी.एन. देशमुख, शिवाजी वाइफालकर, राजू अली मुल्ला, एसके लोखंडे, विवेक महले, प्रभाकर लहाने, वामन बटले, राजन शिंदे, अनिल कराले, आरडी राठौड़, सीताराम चव्हाण, प्रकाश गायकवाड़, प्रकाश शिंदे ने समारोह को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए ऊर्जा राज्य मंत्री प्राजक्त दादा तनपुरे ने बिजली कर्मियों के विचार सुनने के बाद कहा कि वितरण कंपनी के किसी भी शहर का निजीकरण नहीं किया जाएगा। सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। यदि सरकार ने ऐसा कोई निर्णय लिया तो मैं आपके साथ रहूँगा और सरकार की भूमिका का विरोध करूंगा। यदि बिजली कंपनी का निजीकरण होता है तो किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी बंद हो जाएगी, इसलिए हम निजीकरण नहीं होने देंगे। केंद्र सरकार महानिर्मिती के स्वामित्व वाली जलविद्युत का अधिग्रहण करने जा रही है परन्तु, हम इसका विरोध करेंगे। परियोजना के महानिर्मिती के पास रहने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सिंचाई मंत्री के साथ बैठक कर कोई मार्ग निकल सकेगा, यह उन्होंने स्पष्ट किया। भर्ती के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया सात हजार सहायक औए उप-केद्र सहायक रिक्त स्थानों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गयी और अब तक तीन हजार लोगों की भर्ती की जा चुकी है। उप-केंद्र सहायक प्रक्रिया में एक समस्या है क्योंकि यह एक अदालती मामला है। जल्दी ही महापारेषण कंपनी में भरती की जाएगी और वितरण कंपनी में भी भरती करने का निर्देश सरकार द्वारा दिया जायेगा, उन्होंने बताया। स्वतंत्र कृषि कंपनी बनाने के लिए मेरा व्यक्तिगत विरोध होगा।

महावितरण के कर्मचारियों ने कोरोना महामारी के दौरान बहुत अच्छा काम किया है और बकाया की वसूली के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती को प्राथमिकता देने पर विचार कर रही है और 60 साल के लिए रोजगार की गारंटी का प्रस्ताव बहुत अच्छा है इसलिए कंपनी के व्यवस्थापन के साथ बात कर सकारात्मक निर्णय लेने की कोशिश करेंगे। तीनों कंपनियों में स्थानांतरण नीति तय करने के पहले संघटन के साथ बात की जाएगी, उन्हों कहा।

मार्च के बाद जनसभा का संचालन संजय ठाकुर और कृष्णा भोयर ने किया और धन्यवाद प्रस्ताव लीलेश्वर बंसोडे ने दिया। जोरदार घोषणाओं के साथ आंदोलन संपन्न हुआ।

आज के मार्च में मांग
1) महावितरण, महानिर्मिती और महापारेषण कंपनी में शुरू किये जा रहे निजीकरण के खिलाफ।
2) केंद्र सरकार की बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 के निजीकरण नीति के खिलाफ।
3) महानिर्मिती कंपनी द्वारा संचालित जलविद्युत संयंत्रों को निजी उद्यमियों को देने की नीति के विरुद्ध।
4) सभी चार कंपनियों में अनुबंध और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को 60 साल तक के लिए रोजगार सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में।
5) तीनों कंपनियों में रिक्तियों को भरने में देरी के खिलाफ।
6) तीनों कंपनियों के कर्मचारियों, इंजीनियरों और अधिकारियों की स्थानांतरण नीति पर एकतरफा फैसले के खिलाफ।
7) चारों कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर अनावश्यक भर्तियां, तबादलों में राजनीतिक दखल।
8) महावितरण को विभाजित करने और एक स्वतंत्र कृषि कंपनी बनाने की नीति के खिलाफ।
9) महावितरण में 16 निजी मालिकों को मताधिकार देने की नीति का विरोध।

मुंबई में हुए आंदोलन में निम्नलिखित संगठनों के सदस्य और पदाधिकारी मौजूद थे।

सादर
महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी, अधिकारी, इंजीनियर संघर्ष समिति में भाग लेने वाले संगठन

 

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