निजीकरण के खिलाफ 15,000 बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारियों और ठेका कर्मचारियों ने ठाणे में एक विशाल मोर्चा निकाला

महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी संघर्ष समिति की प्रेस विज्ञप्ति

प्रेस विज्ञप्ति
ठाणे 2.1.2023

महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी,अभिंयते,अधिकारी संघर्ष समिती

(महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी संघर्ष समिति)
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अडानी जैसे निजी पूंजीपतियों के खिलाफ 15,000 बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारियों और ठेका कर्मचारियों ने ठाणे में एक विशाल मोर्चा निकाला

एक निजी पूंजीपति कंपनी, अडानी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड ने ठाणे, मुलुंड, भांडुप, नवी मुंबई, बेलापुर, पनवेल, तलोजा और उरण सहित एक सरकारी उद्यम, महावितरण कंपनी (महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी, लिमिटेड) के अधिकार क्षेत्र में भांडुप सर्कल के तहत आने वाले क्षेत्रों में बिजली वितरण के लाइसेंस के लिए महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग को आवेदन किया है।

2 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजे राजकीय उत्पादन, पारेषण एवं वितरण कंपनियों के कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारियों एवं ठेका कर्मियों सहित बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, बिजली उपभोक्ता संगठनों ने अधीक्षण अभियंता, महावितरण कंपनी, ठाणे के कार्यालय से निम्नलिखित मांगों के साथ रैली का आयोजन किया:
• अडानी इलेक्ट्रिकल कंपनी को वितरण लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए।
• राज्य सरकार को बिजली कंपनियों की निजीकरण नीति को रद्द करना चाहिए।
• ठेका कर्मियों को स्थायी किया जाए।
• तीनों बिजली कंपनियों में 42000 रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए।
• 1.4.2019 के बाद चालू उपकेन्द्रों को ठेका पद्धति से चलाने देने की पद्धति बंद की जाए।
• इम्पैनलमेंट द्वारा कार्य करने के तरीके को बंद किया जाए।
• महानिर्मिती कंपनी में हाइड्रो पावर (जल विद्युत्) स्टेशन निजी पूंजीपतियों को नहीं दिया जाना चाहिए।
• महाराष्ट्र का सार्वजनिक स्वामित्व वाला बिजली उद्योग निजी पूंजीपतियों को नहीं दिया जाना चाहिए।

महावितरण कंपनी के ठाणे कार्यालय के सामने सुबह से ही 15,000 से अधिक बिजली कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी, संविदा कर्मचारी, राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों के नेता और बिजली कंपनियों के ठेकेदार उपस्थित थे। चूंकि ठाणे पुलिस ने शुरू में इस मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, इसलिए धरना आंदोलन शुरू कर दिया गया।

संघर्ष समिति के नेता कॉम्रेड कृष्णा भोयर, संजय ठाकूर, अरुण पिवळ,संजय मोरे, आर.टी. देवकात, सय्यद जहिरोदिन, राजन भानुशाली, राकेश जाधव, नवनाथ पवार, एस.के.लोखंडे, विवेक महाले, संदीप वंजारी, सुयोग झुटे, संजय खाडे, उत्तम पारवे, राजन शिंदे, नचिकेत मोरे, एस.एम.शरीकमसलत, शिवाजी वायफळकर, प्रकाश गायकवाड, प्रवीण वर्मा, आर.डी. राठोड, राजअली मुल्ला, मुकुंद हनवते, श्रीमती नेहा मिश्रा, प्रभाकर लहाने, नागोराव पराते, अनिल तराळे, आर.एच.वर्धे, ललित शेवाळे आदि ने प्रतिभागियों को संबोधित किया।

पुलिस अधिकारियों द्वारा मार्च की अनुमति न दिये जाने के कारण कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारियों एवं ठेका कर्मियों तथा जनसंगठनों के प्रतिनिधियों में भारी असंतोष था। संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने ठाणे जिले के पुलिस प्रमुख से मुलाकात कर कलेक्ट्रेट तक मार्च निकालने की अनुमति मांगी। धरना स्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने संघर्ष समिति के अनुरोध पर सहमति जताते हुए महावितरण कार्यालय से मुलुंड चेक नाका तक मार्च निकालने की अनुमति दी। मार्च को मुलुंड चेक नाका पर रोका गया। मार्च के प्रतिनिधिमंडल ने ठाणे कलेक्टर को एक बयान दिया और अनुरोध किया कि संघर्ष समिति की ओर से लोगों की भावनाओं को राज्य के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस तक पहुँचाया जाना चाहिए। माननीय जिला कलक्टर ने आश्वासन दिया कि वे तुरंत संबंधित को बयान अग्रेषित करेंगे।

4 जनवरी 2023 से राज्य में 86000 कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी और 42000 संविदा सुरक्षा गार्ड 72 घंटे की हड़ताल पर रहेंगे। इसके बाद भी अगर सरकार बिजली कंपनियों की निजीकरण की नीति को बंद नहीं करती है तो संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।

संघर्ष समिति राज्य के लोगों से इसके संघर्ष का समर्थन करने की अपील करती है। बिजली कर्मचारी किसी आर्थिक मांग के लिए नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ रहे हैं कि बिजली कंपनियां निजी पूंजीपतियों के हाथ न बिकें क्योंकि निजी पूंजीपति सिर्फ मुनाफा कमाने के इरादे से आते हैं। अगर बिजली कंपनियां निजी पूंजीपतियों के हाथ में चली गईं, तो किसानों, गरीबी रेखा से नीचे के लोगों, पावरलूम मालिकों, 100 यूनिट से कम बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं, सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था, पानी की आपूर्ति को सब्सिडी पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी, साथ ही क्रॉस सब्सिडी भी। दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले आदिवासी और अन्य लोग बिजली से वंचित रहेंगे। इसका कारण यह है कि पूंजीपति लाभ वाले क्षेत्रों को ही हथिया लेंगे और लाभहीन क्षेत्रों को महावितरण के साथ छोड़ देंगे। महावितरण का घाटा दिन ब दिन बढ़ता जायेगा। राज्य के 44 लाख किसानों को मिलने वाली सब्सिडी पूरी तरह बंद कर दी जाएगी।

आपके विश्वासी,
महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी,अभिंयते,अधिकारी संघर्ष समिती (महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी संघर्ष समिति)

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