भयानक रेल हादसे से सबक लेने की जरूरत- आईआरईएफ

डीएम्डव्लू एम्प्लोयिज यूनियन – इंडियन रेलवे एम्प्लोयिज फेडरेशन (आईआरईएफ) के प्रेस कॉफ्रेंस का वक्तव्य

2 जून 2023 का दिन भारतीय रेलवे के इतिहास में काले त्रासदी भरे दिन के रूप में याद किया जाएगा। दक्षिण पूर्व रेलवे की खड़गपुर डिवीजन के बहानगर बाजार स्टेशन पर हुए भीषण हादसे में 300 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर में हर एक मनुष्य की आंख को नम कर दिया है। हम इंडियन रेलवे एम्पलाईज फेडरेशन (IREF) संबद्ध ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल फॉर ट्रेड यूनियंस (AICCTU) की ओर से पीड़ित परिवारों के साथ पूर्णता सहानुभूति प्रकट करते हैं।

हमारा मानना है कि भारतीय रेलवे तथा देश की सरकार द्वारा दी जाने वाली कोई भी राहत पीड़ित परिवारों के घाव नहीं भर सकती है। हमें इस दुखदाई हादसे से सबक लेने की जरूरत है। यह बात श्री मनोज कुमार पांडे अध्यक्ष, श्री सर्वजीत सिंह महामंत्री, श्री जुमेरदीन संगठन सचिव, इंडियन रेलवे एम्पलाईज फेडरेशन ने फेडरेशन की मीटिंग के बाद प्रेस के लिए बयान जारी करते हुए कही।

उल्लेखनीय है कि कल 2 जून को 22 डिब्बों वाली बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस गाड़ी संख्या 12864 जो हावड़ा की तरफ जा रही थी की तीन-चार बोगियां बहानगर बाजार स्टेशन से गुजरते समय डीरेल होकर दूसरी लाइन पर जा गिरी। ठीक उसी समय 23 डिब्बों वाली शालीमार-चेन्नई एक्सप्रेस गाड़ी संख्या 12841 आ गई जो डिब्बों से टकराकर तीसरी लाइन पर खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ गई जिसके कारण सैकड़े लोगों की बेशकीमती जान चली गई और देश के करोड़ों अरबों रुपए का नुकसान हो गया।

आईआरएएफ के नेताओं ने कहा कि देश की सरकार तथा भारतीय रेलवे के प्रशासन को इस हादसे को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफसोसनाक है कि सरकार का ध्यान सिर्फ वंदे भारत ट्रेन की तरफ़ ही है दुसरी गाडियां की उनकी नजर में कोई अहमियत नहीं है।
साथी मनोज पांडे, सर्वजीत सिंह, जुमेरदीन ने हादसे के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि भीषण गर्मी के चलते रेल लाइनों में बिगाड़ पैदा हो सकते हैं जिसको टेक्निकल भाषा में रेल ट्रैक बकलिंग कहा जाता है।

दूसरा कारण भारतीय रेलवे में कर्मचारियों की भारी कमी के चलते कर्मचारियों को प्रॉपर रेस्ट नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते कर्मचारी भारी शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक दबाव में रहते हैं। जिसको भारतीय रेलवे प्रशासन भी मानता है और रेलवे में भर्ती की बातें की भी जाती है।
तीसरा कारण भारतीय रेलवे में किया जा रहा अंधाधुंध आउटसोर्सिंग व ठेकेदारी है जिसके चलते अनट्रेंड लोगों को संरक्षा एवं सुरक्षा के साथ जुड़े हुए कार्यों में लगाया जाता है।

चौथा कारण रेलवे में कैंसर की तरह तेजी से फैलता भ्रष्टाचार है जिसके चलते गुणवत्ता को दरकिनार कर दिया जाता है।

पांचवा बड़ा कारण भारतीय रेलवे में स्टाफ की इतनी कमी है कि रेलवे प्रशासन ठेकेदारों द्वारा किए गए काम की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखने में सक्षम नहीं हो पा रहा है।

इंडियन रेलवे एंप्लाइज फेडरेशन के नेताओं ने कहा कि हमारा का मानना है कि अगर भारतीय रेलवे अनट्रेंड लोगों से रेलवे इंजन बनवाएगी, रेलवे कोच बनवाएगी, रेल लाइनों का रखरखाव करवाएगी और ठेकेदारों द्वारा उनका (ठेकेदार के कर्मियों का) अंधाधुध शोषण किया जाएगा तो रेल हादसे ही भारतीय रेलवे की तकदीर बनेंगे और जितना भारतीय रेलवे में ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग, निजीकरण आदि बढ़ेगा उतनी तेजी के साथ रेलवे में हादसों का ग्राफ बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार तथा रेलवे बोर्ड को भारतीय रेलवे पर थोपी जा रही ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग, निजीकरण आदि नीतियों पर तुरंत रोक लगाकर कर्मचारियों की भर्ती कर रेलवे यात्रियों की संरक्षा तथा सुरक्षा यकीनी बनाई जानी चाहिए।

मीटिंग में कामरेड रवि सेन, एन एन बनर्जी, नरसिंह कुमार, पार्थो बनर्जी, किशानु भट्टाचार्य, मृत्युंजय कुमार, कृष्ण कुमार, मनीष हरिनंदन, राजेन्द्र पाल, उमेद सिंह चौहान, तरसेम कुमार, रतन चंद, संतोष पासवान, हरकेश, पुष्पेंद्र त्रिपाठी, सुरेंद्र विश्वकर्मा, अखिलेश पांडे, सुशील कुमार सिंह, प्रदीप सिंह, राहुल चौरसिया, आलोक कुमार, पीके महापात्रा, ब्रह्मानंद बोई व अन्य केंद्रीय कमेटी सदस्य हाजिर थे।

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