विशाखा उक्कू परिक्षण समिति से प्राप्त
29 अगस्त 2021 को विशाखापट्टनम स्टील प्लांट की बिक्री के खिलाफ संघर्ष को 200 दिन पूरे हुए। प्रदर्शनकारियों की मानव श्रृंखला बनाकर दिवस मनाया गया। ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों, विभिन्न जन संगठनों, राजनीतिक दलों और विशाखापट्टनम की जनता और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने 10 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर शानदार सफलता हासिल की। इस आंदोलन में पहली बार बड़ी संख्या में बच्चों सहित महिलाओं और भूमि खोने वालों ने भाग लिया। यह आंध्र प्रदेश में एक ऐतिहासिक मानव श्रृंखला थी। 30 अगस्त को विशाखापट्टनम स्टील प्लांट की बिक्री के खिलाफ पूरे राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए।
मानव श्रृंखला में 10,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी पीड़ा व्यक्त की। जनता अपने घरों से सड़कों पर उतर आए और दूसरों के साथ हाथ मिलाया और नारे लगाए “हम विशाखापट्टनम स्टील की बिक्री की अनुमति नहीं देंगे” “सरकार को सार्वजनिक संपत्ति बेचने का कोई अधिकार नहीं है” “विशाखा उक्कू आंध्रुला हक्कू”। अगनामुपुडी से बीएचईएल तक का 10 किलोमीटर का पूरा विस्तार निजीकरण विरोधी भावना से भरा हुआ था, और किसी भी कीमत पर विशाखापट्टनम के गौरव की रक्षा के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता से भरा था।
श्री एमवीवी स्तयनारायण, सांसद विशाखापट्टनम, वाईएसआरसीपी की श्रीमती सत्यवती सांसद अंकापल्ली, टीडीपी के श्री बंडारू सत्यनारायण मूर्ति, सीपीआईएम के श्री एमवीएस सरमा पूर्व एमएलसी ने मानव श्रृंखला में भाग लिया और सार्वजनिक क्षेत्र में विशाखापट्टनम स्टील प्लांट की रक्षा करने और केंद्र में भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के, रक्षा, रेलवे, बैंकिंग क्षेत्र, एलआईसी, जीआईसी के मजदूरों ने अपने बैनर के साथ भाग लिया। विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने एपीआरपीए के बैनर तले भाग लिया। विरोध में छात्र, युवा, महिला संगठन भी शामिल हुए। संघर्ष समिति के अध्यक्ष कॉम. नरसिंह राव ने संघर्ष समिति के आह्वान को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। उन्होंने व्यक्त किया कि जीवन के सभी क्षेत्रों की अपार प्रतिक्रिया से यह विश्वास पैदा हुआ है कि वे निश्चित रूप से इस संघर्ष में सफल होंगे और निजीकरण की नीति को उलट देंगे। उन्होंने बताया कि अगर सरकार स्टील प्लांट की रणनीतिक बिक्री के फैसले को वापस नहीं लेती है, तो वे निकट भविष्य में संघर्ष को तेज करेंगे।