सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP) के संयोजक डॉ. ए मैथ्यू द्वारा बधाई संदेश
रेलवे बोर्ड ने आईसीएफ, चेन्नई और मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्रीज़ (एमआरसीएफ), लातूर की सुविधाओं का उपयोग करके अगले 3 से 5 साल में अतिरिक्त 200 वंदे भारत ट्रेनों का उत्पादन करने के लिए भारतीय कॉर्पोरेट टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड और रूसी बहुराष्ट्रीय टीएमएच के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। पिछले वर्ष एमओयू की घोषणा होते ही आईसीएफ के रेल कर्मचारियों ने इसका कड़ा विरोध किया था। इस एमओयू के खिलाफ तुरंत केंद्र में सत्तारूढ़ दल से संबद्ध यूनियन सहित सभी आईसीएफ यूनियनों से मिलकर एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) का गठन किया गया और प्रदर्शन और गेट मीटिंग आयोजित की गईं। डीएमके सांसदों ने भी इसका विरोध करते हुए रेल मंत्री को पत्र लिखा और इस मुद्दे को संसद में उठाया।
AIFAP ने एक राष्ट्रीय स्तर का वेबिनार भी आयोजित किया जिसमें डीएमके संसद सदस्य, रेलवे फेडरेशन (एआईआरएफ और एनएफआईआर) के राष्ट्रीय महासचिव, एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव, डीएमके, सीटू और आईआरटीएसए का प्रतिनिधित्व करने वाले आईसीएफ ट्रेड यूनियन नेता शामिल थे। वेबिनार में सभी प्रतिभागियों ने रेलवे बोर्ड के निजी कॉरपोरेट के साथ एमओयू का पुरजोर विरोध किया और इसके खिलाफ संयुक्त रूप से अभियान तेज करने का निर्णय लिया। इस वेबिनार में न केवल रेलवे, बल्कि इस्पात, बिजली, कोयला, बैंक, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अन्य क्षेत्रों के श्रमिकों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य लोगों ने भी भाग लिया। आख़िरकार, एआईएफएपी का मोटो है “एक पर हमला सभी पर हमला है!”
इन सभी कार्रवाइयों का नतीजा यह हुआ कि रेलवे अधिकारियों ने 23 जनवरी 2024 को आईसीएफ कार्यकर्ताओं के सामने घोषणा की कि टीटागढ़ को आईसीएफ, चेन्नई में वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
1 फरवरी 2024 को रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड ने आईसीएफ, चेन्नई के महाप्रबंधक को 2025-2026 और 2026-2027 की अवधि में 50 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण के लिए एक आदेश जारी किया। यह आईसीएफ द्वारा पहले ही निर्मित 40 वंदे भारत और अगले वर्ष मार्च 2025 तक उत्पादित की जाने वाली 35 वंदे भारत के अतिरिक्त है।
आईसीएफ पर अतिरिक्त वंदे भारत ट्रेनों के लिए ऑर्डर जारी करना और निजी कॉर्पोरेट टीटागढ़ को आईसीएफ में वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण की अनुमति रद्द करने की घोषणा करना आईसीएफ रेल कर्मचारियों और रेलवे उत्पादन इकाई कर्मचारियों की जीत है। यह दर्शाता है कि रेल कर्मचारियों की एकजुट कार्रवाई लाभ के भूखे निजी कॉरपोरेटों को विनिर्माण उद्देश्यों के लिए रेलवे उत्पादन सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति देने की श्रमिक-विरोधी, जन-विरोधी नीति को रोक सकती है।
डॉ. ए मैथ्यू
संयोजक,
सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP)