भारतीय रेलवे के सिग्नल और टेलीकॉम मज़दूरों ने अपने सहकर्मियों की ऑन-ड्यूटी मौतों, कर्मचारी-विरोधी क़दमों और कामकाजी परिस्थितियों के विरोध में 14 मार्च को काला दिवस मनाया

कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

भारतीय रेलवे के सिग्नल और टेलीकॉम (S&T) अनुरक्षकों और उनकी यूनियनों के निरंतर प्रयासों ने रेलवे बोर्ड को दिनांक 11 मार्च का पत्र जारी करने के लिए मजबूर किया, जिसमें सभी जोनों को “रात्रि ड्यूटी विफलता सुधार गैंग्स” (नाइट ड्यूटी फेलियर रेक्टिफिकेशन गैंग्स) का गठन करने का निर्देश दिया गया है। यह उन मुख्य मांगों में से एक है जिसके लिए S&T मज़दूर आंदोलन कर रहे हैं। AIFAP ने पहले उनके आंदोलन (https://hindi.aifap.org.in/11346/) के बारे में रिपोर्ट किया है।

लेकिन सिग्नल और टेलीकॉम(S&T) मज़दूर जानते हैं कि जब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे, रेलवे बोर्ड द्वारा दिए गए निर्देश कागज पर ही रहेंगे। इसीलिए, 14 मार्च को, भारतीय रेलवे के एस एंड टी मेंटेनर्स यूनियन के मज़दूरों ने काम करते हुए उपवास किया, मौन व्रत रखा और उस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया।

इस अवसर पर उन्होंने भारत के प्रधान मंत्री को एक पत्र भी लिखा, जो नीचे दिया गया है।

पत्र में बताया गया है कि 22 जनवरी से 2 मार्च तक की छोटी सी अवधि में, काम के दौरान 6 दुर्घटनाओं में नौ S&T मज़दूरों की जान चली गई। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि जब कोई सिग्नल विफल हो जाता है, तो इन मज़दूरों को अक्सर ड्यूटी रोस्टर के बिना काम पर बुलाया जाता है, जो कि रेलवे बोर्ड के 2005 के एचओईआर की पूरी तरह से अवहेलना है। पत्र में इन उल्लंघनों को तत्काल रोकने की मांग की गई है।

पत्र में यह भी मांग की गई है कि बालासोर रेलवे दुर्घटना में गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने के कारण उनके 3 सहकर्मी अभी भी सीबीआई जेल में हैं और 1 को सेवा से हटा दिया गया है। उन्हें सेवा में वापस आने की अनुमति दी जानी चाहिए।

लगभग सभी विभागों के रेलवे कर्मचारी, विशेष रूप से परिचालन विभाग जैसे लोको पायलट, मोटरमैन, गार्ड, स्टेशन मास्टर, एसएंडटी मेंटेनर और ट्रैक मेंटेनर, अत्यधिक ड्यूटी घंटों को न केवल उनकी सुरक्षा बल्कि रेल यात्रियों की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुख्य कारण के रूप में उजागर कर रहे हैं। लेकिन, ट्रेन दुर्घटनाओं के लिए रेलवे कर्मचारियों को दोषी ठहराने के अलावा रेलवे बोर्ड ने समस्या के मूल कारणों, यानी लाखों रिक्तियों और रेलवे बोर्ड के अपने निर्देशों के अनुसार ड्यूटी समय के उल्लंघन, के संबंध में बहुत कम काम किया है।

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