बिजली क्षेत्र के निजीकरण की होड़

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश का बयान


राजस्थान में 2320 मेगावाट के छबड़ा थर्मल पावर स्टेशन को संयुक्त उद्यम कंपनी (PPP) के रूप में एनटीपीसी को सौंपने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

2000 मेगावाट के झालावाड़ थर्मल पावर स्टेशन को एक अन्य संयुक्त उद्यम के रूप में कोल इंडिया लिमिटेड को सौंपने का समझौता होने जा रहा है। कोटा में जो थोड़ी सी क्षमता बची होगी इस तरह के कदम से राजस्थान का विद्युत उत्पादन निगम पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।

राजस्थान में हजारों 33 केवी बिजली वितरण उपकेंद्रों को निजी क्षेत्र को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। एक तरह से यह राजस्थान के संपूर्ण वितरण क्षेत्र के निजीकरण की प्रक्रिया है।

अब भला उत्तर प्रदेश कैसे पीछे रह सकता है? उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का एक झटके में निजीकरण करने का ऐलान हो चुका है, लेकिन अंदरूनी फैसला लिया गया है कि पूरे वितरण, पारेषण और उत्पादन का निजीकरण किया जाएगा।

राजस्थान में सन्नाटा है, इंजीनियर्स एसोसिएशन लगभग निष्क्रिय है। एकदम सन्नाटा है, लेकिन, उत्तर प्रदेश में कर्मचारी संघर्ष की तैयारी कर रहे हैं। लगातार बैठकें हो रही हैं लेकिन मार्च 2023 की हड़ताल के बाद जिस तरह से समझौते को नकारा गया और विश्वासघात किया गया और समझौते को मानने से इनकार किया गया, उससे कर्मचारियों और इंजीनियरों में डर है।

अभी तक निजीकरण का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है और न ही कोई RFP दस्तावेज जारी हुआ है लेकिन अध्यक्ष ने प्रेस के माध्यम से धमकी दी है कि जो भी निजीकरण का विरोध करेगा उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया जायेगा। उत्तर प्रदेश में आतंक और दमन फैलाकर निजीकरण की तैयारी की जा रही है।

यही समय है जब पूरे देश को उत्तर प्रदेश की लड़ाई के साथ अपनी एकजुटता दिखानी चाहिए।

इंकलाब जिंदाबाद!

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