विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उ.प्र. का बयान
मित्रों,
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूपी पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने बिजली वितरण के साथ-साथ उत्पादन और ट्रांसमिशन का भी पूरी तरह से निजीकरण करने का फैसला कर लिया है। पावर कॉरपोरेशन की ओर से अखबारों में बयान दिया गया कि जेनरेशन कॉरपोरेशन और ट्रांसमिशन के 50% तक कर्मियों को एनटीपीसी और नेवेली लिग्नाइट लिमिटेड के संयुक्त उद्यम निगमों में प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर भेजा जाएगा. इससे यह स्पष्ट होता है कि संपूर्ण उत्पादन निगम और ट्रांसको का निजीकरण करने की कार्य योजना है।
यहां यह बताना जरूरी है कि एनटीपीसी की मानव संसाधन नीति में प्रतिनियुक्ति के लिए कोई जगह नहीं है। वैसे भी देश में किसी सार्वजनिक उपक्रम में 50 फीसदी तक प्रतिनियुक्ति का कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। जब उत्तर प्रदेश में आगरा शहर और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण किया गया, तो निजी कंपनियों ने तत्कालीन बिजली बोर्ड के एक भी कर्मचारी को नौकरी पर नहीं रखा। सबको वापस आना पड़ा। अब जब वितरण, उत्पादन और ट्रांसमिशन का पूरी तरह से निजीकरण किया जा रहा है, तो छंटनी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
आज पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने सभी मंडलायुक्तों समेत निर्माण निगम, जल निगम ग्रामीण और जल निगम शहरी, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग, नगर विकास विभाग, नमामि गंगे विभाग और ग्रामीण विद्युतीकरण विभाग के प्रमुख सचिवों को पत्र भेजा है। हड़ताल से निपटने के लिए जनशक्ति की तत्काल मांग है। ऐसा लगता है कि निजीकरण के सारे दस्तावेज तैयार हैं और किसी भी दिन अचानक निजीकरण की घोषणा होने वाली है।
स्थिति बहुत प्रतिकूल है लेकिन कर्मचारियों के हितों को देखते हुए, उनके परिवारों के बारे में सोचते हुए, उनके बच्चों के भविष्य को देखते हुए हमारे पास एकजुट होकर लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं
है।
एक है तो सुरक्षित है…
बंटेंगे तो कटेंगे…
इंकलाब जिंदाबाद!