सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP) के संयोजक डॉ. ए. मैथ्यू की ओर से नव वर्ष की शुभकामनाएं
नववर्ष की शुभकामनाएँ
प्रिय साथियों और दोस्तों,
नववर्ष 2025 के अवसर पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और कामना करता हूं कि यह वर्ष सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और मजदूर वर्ग पर हमलों के खिलाफ हमारे साझा संघर्ष में और सफलताएं लेकर आए। मैं मजदूरों को उनकी जायज मांगों के लिए संघर्ष में सफलता की कामना भी करता हूं।
AIFAP के सदस्यों की संख्या अब 116 हो गई है। सदस्य महासंघ, यूनियन और एसोसिएशन 15 से अधिक विभिन्न क्षेत्रों से हैं जिनमें रेलवे, बिजली, राज्य सरकार के कर्मचारी, बैंकिंग, बीमा, कोयला, पेट्रोलियम, इस्पात, बंदरगाह और गोदी, रक्षा (आयुध कारखाने) और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां, एयर इंडिया, BSNL, सड़क परिवहन, शिपिंग, शिक्षक और पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संगठन और साथ ही संयुक्त कार्रवाई मोर्चे और जन संगठन शामिल हैं।
1 जनवरी 2025 तक AIFAP वेबसाइट (www.aifap.org/www.hindi.aifap.org.in) की दर्शक संख्या 5,00,000 को पार कर गई है। 2024 की शुरुआत में यह 3,00,000 थी, यानी एक साल में 66% की वृद्धि। यह AIFAP को भारत में मजदूरों के संघर्षों की सबसे सक्रिय और व्यापक रूप से देखी जाने वाली वेबसाइट बनाता है।
पिछले वर्ष के दौरान, AIFAP ने भारतीय रेलवे, बिजली, BSNL, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में निजीकरण का विरोध करने के संघर्षों में जोरदार योगदान दिया।
भारतीय रेल कर्मचारियों ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई में वंदे भारत ट्रेन सेट के निर्माण के निजीकरण के खिलाफ़ एक लड़ाकू संघर्ष किया। संघर्ष ने रेलवे बोर्ड को निजी कंपनी के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को रद्द करने और ICF को ऑर्डर देने के निर्देश जारी करने के लिए मजबूर किया। यह रेलवे उत्पादन इकाइयों के निजीकरण के खिलाफ़ रेल कर्मचारियों के एकजुट संघर्ष की जीत है। AIFAP ने इस संघर्ष के समर्थन में तथा अन्य क्षेत्रों के श्रमिकों से समर्थन जुटाने के लिए एक राष्ट्रीय ऑनलाइन बैठक आयोजित की। हमारे सदस्य रेलवे कर्मचारियों की एकता लाने में मदद करके, संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता दिखाकर तथा इस श्रमिक-विरोधी, जन-विरोधी निजीकरण को व्यापक प्रचार देकर संघर्ष की सफलता में योगदान देकर प्रसन्नता महसूस करते हैं।
पिछले दो वर्षों के दौरान, कई रेल दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों-हज़ारों निर्दोष लोगों और रेलवे कर्मचारियों की मृत्यु हुई है और वे घायल हुए हैं, साथ ही संपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ है। AIFAP ने इन दुर्घटनाओं के मूल कारणों को व्यापक रूप से प्रचारित किया है, जैसे कि भारतीय रेलवे की सुरक्षा श्रेणी में बड़ी संख्या में रिक्तियाँ, जिन्हें जानबूझकर नहीं भरा जा रहा है, और सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढाँचे के लिए अनुदान का अपर्याप्त आवंटन, आदि।
रेलवे कर्मचारियों की कई श्रेणियां, जैसे लोको पायलट, सिग्नल और मेंटेनेंस स्टाफ, स्टेशन मास्टर, ट्रेन कंट्रोलर, ट्रैक मेंटेनर आदि अपनी कठोर कार्य स्थितियों के खिलाफ लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। AIFAP ने दक्षिणी रेलवे के लोको पायलटों के लगभग एक महीने लंबे संघर्ष का समर्थन करने के लिए एक राष्ट्रीय ऑनलाइन बैठक आयोजित की थी, जो अपर्याप्त आराम और लंबे ड्यूटी घंटों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। AIFAP ने मई 1974 की ऐतिहासिक रेलवे हड़ताल की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए एक राष्ट्रीय ऑनलाइन बैठक भी आयोजित की।
देशभर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का एकजुट विरोध संसद में बिजली संशोधन विधेयक 2022 को पारित होने से रोकने और इस तरह बिजली वितरण के निजीकरण को रोकने में सफल रहा। जब सरकार ने पूरे देश में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना की घोषणा की, तो AIFAP ने इस योजना के वास्तविक उद्देश्य को उजागर करने के लिए एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। स्मार्ट मीटर योजना जनविरोधी और मजदूर विरोधी दोनों थी और इसका उद्देश्य बिजली वितरण को निजीकरण के लिए आकर्षक बनाना था। बड़ी संख्या में AIFAP सदस्यों सहित 46 संगठनों ने एक साथ मिलकर हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में “मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी स्मार्ट बिजली मीटरों का एकजुट होकर विरोध करें – विभिन्न मजदूर, किसान और जन संगठनों द्वारा आह्वान” पुस्तिका निकाली। पूरे देश में पुस्तिका की दसियों हज़ार प्रतियाँ वितरित की गई हैं ताकि उपभोक्ताओं और श्रमिकों को पता चल सके कि स्मार्ट मीटर उन्हें कैसे नुकसान पहुँचाएंगे।
नवंबर 2024 में, केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में सरकारी स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनी को बहुत ही कम कीमत पर एक निजी कॉर्पोरेट को सौंपने की घोषणा की। इसके तुरंत बाद दिसंबर 2024 में, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने दो प्रमुख वितरण कंपनियों, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, के निजीकरण की योजना की घोषणा की।
AIFAP ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को व्यापक कवरेज देकर इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाया है। AIFAP ने चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश के बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए हिन्दोस्तानी मजदूर वर्ग के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने में भी योगदान दिया है।
पिछले साल भी निजी दूरसंचार इजारेदारों के पक्ष में जानबूझकर BSNL को बर्बाद करने की कोशिशें जारी रहीं। सितंबर 2024 में, AIFAP ने कर्मचारियों पर एक और VRS थोपने और इसकी विशाल भूमि संपत्तियों को बेचने की केंद्र सरकार की कथित योजनाओं के खिलाफ एक राष्ट्रीय ऑनलाइन बैठक आयोजित की। इस बैठक में BSNL कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली सभी यूनियनों ने भाग लिया, जिससे केंद्र सरकार की किसी भी मजदूर-विरोधी जन-विरोधी योजना का विरोध करने करने के लिए उन्हें एकजुट होने में मदद हुई।
उपरोक्त के अतिरिक्त, AIFAP नियमित रूप से रक्षा, बैंक, बीमा, बंदरगाह और डॉक्स, डाक, कोयला, इस्पात, सड़क परिवहन, और केन्द्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के संघर्षों को उजागर करता रहा है।
हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि AIFAP ने उन उद्देश्यों को पूरा किया है जिसके लिए इसका गठन किया गया था और यह एक ऐसा मंच बन गया है जो सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण के खिलाफ चल रहे संघर्षों को मजबूत करने में योगदान दे रहा है।
निजीकरण के खिलाफ संघर्ष, सरकार की मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ हमारे लोगों के समग्र संघर्ष का एक हिस्सा है। ये नीतियां बड़े इजारेदार कॉरपोरेट्स की ओर से लागू की जा रही हैं और इन नीतियों का उद्देश्य लोगों की संपत्तियों पर कब्जा करके और मजदूरों को न्यूनतम वेतन पर अधिकतम श्रम प्राप्त करने के लिए मजबूर करके इन कॉरपोरेट्स को अमीर बनाने में सक्षम बनाना है।
आप सभी के सक्रिय सहयोग से AIFAP का निर्माण और सुदृढ़ीकरण हुआ है। मुझे यकीन है कि आपके निरंतर सक्रिय सहयोग से, इसमें और अधिक सदस्य शामिल होंगे, रिपोर्ट और लेखों के माध्यम से योगदान देंगे और AIFAP तथा इसकी वेबसाइट को लोकप्रिय बनाएंगे।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ,
डॉ. ए. मैथ्यू
संयोजक,
सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP)
9833387137