कॉम. त्रिलोक सिंह, एटक (AITUC), से प्राप्त रिपोर्ट
किसानों के सफल संघर्ष की पृष्ठभूमि में, जिसने सरकार को तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया, खुतवाड़ नगर में सीटू कार्यकर्ताओं द्वारा विजय दिन मनाया गया। इस मौके पर सीटू की ओर से लड्डू बांटकर और पटाखे फोड़कर किसानों और जनता के आंदोलन की जीत का जश्न मनाया गया। इस अवसर पर डॉ. डी एल कराड ने भाषण दिया।
भारतीय किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक ऐसी लड़ाई जीती जो विश्व स्तर पर ऐतिहासिक थी। शांतिपूर्ण आंदोलन द्वारा गर्व और अहंकारी पीएम मोदी को तीनों कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। आंदोलनकारियों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने, शहीदों को मुआवजा और अन्य मांगों को जीतने के बाद ही किसानों ने अपना आंदोलन अस्थायी रूप से स्थगित किया।
लंबे समय से चले आरहे और क्रांतिकारी आंदोलन में विजयी होने के लिए किसान नेताओं को डॉ. डी एल कराड ने बधाई दी।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को सीटू सहित सभी मजदूर संगठनों ने लगातार समर्थन दिया और उन्होंने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया। इसलिए डॉ. कराड ने भी मजदूर वर्ग को भी बधाई दी।
किसान विरोधी कृषि कानूनों की तरह, मोदी सरकार ने महामारी के दौरान 29 पुराने श्रम कानूनों को भी निरस्त कर दिया और 4 मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को मंजूरी देकर मजदूर वर्ग को गुलामी में धकेल दिया। वही मोदी सरकार ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण कर उन्हें बेचने की नीति लागू की है। रेलवे, बीमा, बैंक, एलआईसी और तेल कंपनियां सभी बड़े कॉरपोरेट घरानों को बेची जा रही हैं। इसके खिलाफ तमाम मजदूर संगठन एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं।
28 नवंबर को मुंबई में आयोजित किसान-मजदूर महापंचायत में किसानों के राष्ट्रीय नेताओं ने मजदूरों की मांगों का समर्थन किया।
डॉ. कराड ने अपील की कि सरकार की हानिकारक नीति के खिलाफ लड़ाई में सफल होने के लिए एक मजबूत एकता का निर्माण करना चाहिए और हमें लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए।
इस अवसर पर सीटू के जिला सचिव कॉमरेड सीताराम थोम्ब्रे ने परिचयात्मक शब्द कहे। विजय दिवस मनाने के कार्यक्रम में संतोष काकड़े, तुकाराम सोंजे, निवृत्ती केदार सहित अन्य पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग ने भाग लिया|