केईसी संवाददाता की रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने दादरा और नगर हवेली और दमन एवं दीव पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड में 51 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 7 फरवरी को टोरेंट पावर को आशय पत्र जारी किया है। इस केंद्र शासित प्रदेश में बिजली वितरण विभाग द्वारा लगातार लाभ कमाने के बावजूद निजीकरण किया जा रहा है जबकि वहाँ पर 3.2% ट्रांसमिशन लॉस देश में सबसे कम में से एक है।
केंद्र सरकार सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके प्रयासों को मज़दूरों और उपभोक्ताओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है। जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में लोगों द्वारा समर्थित बिजली कर्मचारियों की हड़ताल, राज्य सरकार को निजीकरण रोकने के लिए मजबूर करने में सफल रही। चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी और लोग लगातार विरोध कर रहे हैं और उन्होंने आने वाले हफ्तों में कई सार्वजनिक कार्यों और 22 फरवरी से तीन दिवसीय हड़ताल की योजना बनाई है।
देश के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर जानते हैं कि आज जो केंद्र शासित प्रदेशों में हो रहा है वह कल दूसरे राज्यों में होगा और इसलिए बिजली वितरण के निजीकरण के किसी भी प्रयास का कट्टर विरोध करते रहे हैं।
केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव के मज़दूरों और लोगों को जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी के सफल संघर्षों से प्रेरणा लेनी चाहिए और प्रशासन को निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ने से रोकना चाहिए।