सिंगरेनी कोयला खदानों का निजीकरण रोकने से केंद्र सरकार का इंकार

केईसी संवाददाता की रिपोर्ट

सिंगरेनी कोलियरीज (एससीसीएल) के मज़दूरों और राज्य सरकार के विरोध के बावजूद, कोयला मंत्री ने 2 फरवरी को लोकसभा को सूचित किया कि सिंगरेनी के चार कोयला ब्लॉकों की नीलामी की जाएगी, जैसा कि पहले ही तय हो चुका है।

मंत्री ने स्वीकार किया कि केंद्र को एससीसीएल प्रबंधन और तेलंगाना सरकार से कंपनी को इन कोयला ब्लॉकों के एकमुश्त आवंटन के लिए अनुरोध प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा, “परन्तु, कोयला मंत्रालय ने फैसला किया है कि एससीसीएल को कोयला ब्लॉकों के इस तरह के आरक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह दूसरों के लिए एक मिसाल बन जाएगा।”

कोयला मंत्री ने आगे बताया कि भविष्य में सभी ब्लॉकों की नीलामी की जाएगी और एक साल बाद सीधे आवंटन का रास्ता बंद कर दिया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि आगे सभी कोयला ब्लॉक देश में निजी कंपनियों को पेश किए जाएंगे, यदि वे रुचि रखते हैं। यह नीति पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए, सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियों कोल इंडिया लिमिटेड और एससीसीएल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए है।

सिंगरेनी कोलियरीज की चार कोयला खदानें- कल्याण खानी ब्लॉक-6, कोयागुडेम ब्लॉक-3, सथुपल्ली ब्लॉक-6 और श्रवणपल्ली-को कोल ब्लॉक्स की नीलामी के चौथे चरण के तहत बिक्री के लिए रखा गया है। तकनीकी बोलियां 16 फरवरी तक आने की उम्मीद है और नीलामी 10 मार्च 2022 को की जाएगी।

एससीसीएल एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है और तेलंगाना सरकार और केंद्र का एक संयुक्त उद्यम है जिसमें क्रमशः 51 और 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। कोयला खदानें आदिलाबाद, करीमनगर, खम्मम और वारंगल जिलों में फैली हुई हैं। परन्तु, राज्य सरकार का अपने राज्य में पड़ी कोयला खदानों के आवंटन में कोई सहभाग नहीं है!

दिसंबर 2021 में एससीसीएल के चार कोयला ब्लॉकों की नीलामी का प्रयास किया गया था। हालांकि, सत्तुपल्ली ब्लॉक- III, श्रवणपल्ली और कल्याण खानी ब्लॉक -6 के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं हुई थी और नीलामी रद्द कर दी गई थी। कोयागुडेम ब्लॉक- III के लिए एक बोली प्राप्त हुई थी, लेकिन इसे भी रद्द कर दिया गया था, क्योंकि नीति के अनुसार, पहले प्रयास में एकल बोलियां स्वीकार नहीं की जाती हैं। हैरानी की बात यह है कि एससीसीएल ने शायद केंद्र सरकार के निर्देश पर किसी भी कोयला ब्लॉक के लिए बोली नहीं लगाई। इसके विपरीत, एससीसीएल प्रबंधन, जो राज्य में उपलब्ध कोयला ब्लॉक नहीं चाहता है, ओडिशा में कोयला खदानों के लिए प्रयास कर रहा है। यह पहले ही राज्य में नैनी कोयला ब्लॉक जीत चुका है और आगे की नीलामी में भी भाग ले चुका है।

सत्ताधारी पार्टी टीआरएस के तेलंगाना बोग्गू गनी कर्मिका संघम (टीबीजीकेएस), एटक, एचएमएस, इंटक से संबद्ध एससीसीएल मज़दूरों की यूनियनों ने निजीकरण के कदम के विरोध में 9 दिसंबर से तीन दिवसीय हड़ताल की। इसने मुख्यमंत्री को सिंगरेनी कोयला ब्लॉकों के निजीकरण को रोकने के लिए प्रधान मंत्री को लिखने के लिए मजबूर किया।

कोयला हमारे देश में ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। अधिकांश बिजली उत्पादन संयंत्र ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग करते हैं। कोयले के निजीकरण से बिजली और भी महंगी हो जाएगी।

कोयले और विशेष रूप से सिंगरेनी कोलियरीज के मजदूर-विरोधी और जन-विरोधी निजीकरण के खिलाफ लड़ाई हम सभी के समर्थन की पात्र है।

 

 

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सूर्यकांत
सूर्यकांत
2 years ago

सिंगरेनी कोलियरीज खदान जो लोगों का संपत्ती है । उस संपत्ती को भांडवलदारी सरकार मजदुरोंके विरोध के बावजुद का भांडवलदारोंको सस्ते दाम पर बेचना चाहती है । दाम , दंड , भेद का इस्तेमाल करके देश का नैसर्गिक संपत्ती पर कब्जा करना चाहता है । कोयले से संबंधित सभी चिजे महंगी होगी । इससे पुंजीपती वर्ग , साफ जाहीर है की को कोई भी पार्टी की सरकार आने दो वह पुंजीपतीयोंके लिये काम करती है । इसलिये हमे आम मेहनतकश लोग , मजदुर , किसान कि एकजुट बनाकर लढना होगा । संगरेनी कोलियरीज खदान के लडाकु मजदुरोंके जायज संघर्ष को मेरा लाल सलाम ।