केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय मजदूर संघ के सभी संबद्ध संघ बड़े पैमाने पर 17 नवंबर 2022 को जंतर मंतर पर निजीकरण और निगमीकरण के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करेंगे


(अंग्रेजी प्रेस विज्ञप्ति का हिंदी अनुवाद)

प्रेस विज्ञप्ति

भारतीय मजदूर संघ (बीएम्एस) ने आज, 31.10. 2022 को निजीकरण के खिलाफ बीएम्एस केंद्रीय कार्यालय पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, (दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली) जिसमें निजीकरण की सरकार की नीति का विरोध, सभी गैर-रणनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में निगमीकरण, विनिवेश, संपत्ति मुद्रीकरण, सार्वजनिक / सरकारी क्षेत्रों की रणनीतिक बिक्री का विरोध और अनुबंध/ आउटसोर्स के नियमितीकरण की मांग शामिल थे |

भारतीय मजदूर संघ की 12 और 13 फरवरी, 2022 को आयोजित 150वीं केंद्रीय कार्य समिति की ऑनलाइन बैठक में पारित संकल्प के अनुसार, और 26 से 28 अगस्त, 2022 को भुवनेश्वर में आयोजित भौतिक बैठक में आगे की गई पुष्टि के अनुसार, बीएमएस की सार्वजनिक क्षेत्र समन्वय समिति के बैनर तले सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा जंतर मंतर, नई दिल्ली में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण, निगमीकरण, विनिवेश, रणनीतिक बिक्री और मुद्रीकरण की सरकार की नीति के खिलाफ और सरकारी क्षेत्र और जनता/सरकार में संविदा/आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने की मांग को लेकर आंदोलन / रैली आयोजित करने का निर्णय लिया गया है|

देश का सबसे जिम्मेदार केंद्रीय ट्रेड यूनियन होने के नाते, बीएमएस का मानना है कि सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र सबसे मूल्यवान राष्ट्रीय संपत्ति हैं क्योंकि वे देश में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए और बेरोजगारी की समस्याओं को दूर करने के लिए स्थापित किए गए थे। आजादी के बाद से, सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गज भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ताओं में से एक रहे हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र भारत के औद्योगिक विकास और अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्रों ने औद्योगिक विकास के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया, सहायक और लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया, लाखों लोगों को रोजगार प्रदान किया, संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया और निवेश पर अच्छा रिटर्न लाया।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने भारत के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास को प्राप्त करने में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे ऊर्जा उत्पादन और आपूर्ति, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति और निश्चित रूप से रोजगार प्रदान करने और सरकारी खजाने में योगदान देने में महत्वपूर्ण रहे हैं। हाल के दिनों में, उन्होंने अपनी CSR पहलों और कौशल विकास कार्यक्रमों के संचालन के माध्यम से समावेशी विकास को बढ़ावा देने में एक अनुकरणीय भूमिका निभाई है। कोविड-19 महामारी की अवधि के दौरान, यह सार्वजनिक क्षेत्र है जिसने बड़े पैमाने पर जनता को निर्बाध ग्राहक सेवाएं प्रदान की हैं। सरकार को तर्कसंगत आधार पर सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और अंतर्दृष्टि और जमीनी हकीकत प्राप्त करने के लिए हितधारकों के साथ बातचीत में शामिल होना चाहिए।

सरकार की निजीकरण नीति आर्थिक संप्रभुता, रोजगार क्षमता और आर्थिक विकास के मुख्य उद्देश्य को नुकसान पहुंचाएगी। चूंकि PSU देश की मूल्यवान संपत्ति हैं जो लोगों के पैसे से स्थापित की गई थीं और इसलिए, उन्हें कभी भी निजी खिलाड़ियों को नहीं सौंपा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने उत्पादों में विविधता लाकर और सरकार की वित्तीय सहायता के साथ नवीनतम तकनीकी तरीकों को अपनाकर पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। इसलिए, यह जरूरी है कि देश के आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों को जारी रखा जाए और विकसित किया जाए जिसमें बेरोजगारी संकट को हल करने की एक बड़ी क्षमता शामिल हो।

इसी तरह, भारत सरकार रेलवे, रक्षा, बंदरगाहों, डाक, सिक्कों और मुद्रा में अंधाधुंध निगमीकरण का सहारा ले रही है और “कोयला ब्लॉक व्यावसायीकरण नीति” भी तैयार कर रही है जिसके परिणामस्वरूप इन सभी सरकारी क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा, जिससे कर्मचारियों का पूरा समूह अत्यधिक तनाव में है । बीएमएस की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति को लगता है कि सरकार निगमीकरण के उत्साह में है।

उपरोक्त कारणों को ध्यान में रखते हुए और भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के निर्णय के अनुसार, बैंकिंग, बीमा, कोयला, गैर-कोयला, खनन, रक्षा, रेलवे सहित केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों / सरकारी क्षेत्रों में BMS के सभी संबद्ध संघ, पोस्टल, स्टील, शिपिंग, पोर्ट और डॉक और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ [PSENC] ( जिसमे टेलीकॉम (BSNल/MTNL), तेल और गैस (ONGC, BPCL, GAIL, IOCL, OIL INDIA, NRL, Balmer Lawrie, MRPL), विमानन (एयर इंडिया, AAI), NALCO, Coins & Currency, MINT, FCI, NHPC, Power Grid, NTPC, NEEPCO, THDC, NHDC, BHEL, NLC, HAL, BDL, HMT, BEL, ITI, ALIMCO, HNL, FACT, IREL, REIL, ECIL, इंस्ट्रुमेंटेशन, मदर डेयरी, ITDC और अन्य क्षेत्र शामिल हैं) सार्वजनिक क्षेत्र समन्वय समिति के बैनर तले, 17.11.2022 को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे, जिसमे शामिल मांगे होंगी, “जनता बचाओ/ सरकार की नीतियों के खिलाफ सरकारी क्षेत्र के निजीकरण, विनिवेश, सरकारी क्षेत्रों का निगमीकरण, रणनीति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बिक्री, संपत्ति मुद्रीकरण को रोको और उपरोक्त सार्वजनिक / सरकारी क्षेत्रों में अनुबंध / आउटसोर्स श्रमिकों को नियमित करने के लिए और इन श्रमिकों को वेतन, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा लाभ आदि सहित समान लाभ दिए जाने चाहिए, जो नियमित कर्मियों की तरह समान काम और कर्तव्यों को करते हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को श्री एस मल्लेशम, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष, बीएमएस और प्रभारी, सार्वजनिक क्षेत्र, श्री गिरीश आर्य, अखिल भारतीय सचिव, बीएमएस और श्री धर्म राज, महासचिव, MTNL ने संबोधित किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान श्री पवन कुमार, अध्यक्ष, पीएसईएनसी, श्री अनीश मिश्रा, अध्यक्ष और श्री दीपेंद्र चाहर, बीएमएस दिल्ली राज्य के महासचिव और विभिन्न सार्वजनिक / सरकारी क्षेत्रों के अन्य संघ, रेलवे, रक्षा, डाक, दूरसंचार, बिजली, तेल, बैंकिंग, बीमा आदि के नेता भी उपस्थित थे।

(गिरीश चंद्र आर्य)

अखिल भारतीय सचिव,

बीएमएस

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