कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
सितंबर 2020 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने पंजाब अल्कलीज एंड केमिकल्स लिमिटेड (पीएसीएल) की 33.49 प्रतिशत की अपनी पूरी हिस्सेदारी सुखबीर दहिया, जगबीर सिंह अहलावत और उनके परिवार के सदस्यों की पारिवारिक स्वामित्व वाली कंपनी को बेच दी थी। पीएसीएल के निजीकरण लाभ कमाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई होने के बावजूद यह किया गया।
सरकार की शेयरधारिता महज 42 करोड़ रुपये में बेच दी गयी। हालांकि, रूढ़िवादी आकलन के अनुसार, कंपनी की संपत्ति का मूल्य 1,000 करोड़ रुपये से कम नहीं था। बेची गई संपत्तियों में एक कार्यात्मक लाभ कमाने वाला संयंत्र, नया नांगल में 88.86 एकड़ भूमि पर फैक्ट्री, चंडीगढ़ के सेक्टर 31 में 722 वर्ग गज का भूखंड, नया नांगल में दो आवासयी कॉलोनियां, एक 2.5 एकड़ और दूसरी 8.61 एकड़ की है। कंपनी की संपत्ति में तीन एकड़ का नया नांगल में जमीन का एक टुकड़ा भी शामिल है।
इसके अलावा, नई व्यवसाय विकास नीति-2017 के तहत, कंपनी 10 साल के लिए बिजली शुल्क में छूट का लाभ उठा रही थी। कंपनी सात साल में शुद्ध जीएसटी में 25 प्रतिशत की छूट का 120 करोड़ रुपये की सीमा तक का लाभ भी उठा रही थी।
पीएसीएल को 18 दिसंबर 1975 को चंडीगढ़ में कास्टिक सोडा, तरल क्लोरीन, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और कैल्शियम हाइपोक्लोराइट के निर्माण के लिए शामिल किया गया था। उत्तर भारत में वे जो उत्पाद बना रहे थे, उनमें उसका एकाधिकार था।
अपनी हिस्सेदारी बेचने से ठीक पहले सरकार ने कंपनी में 356 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसमें से 116 करोड़ रुपये 2017 में केमिकल फैक्ट्री के आधुनिकीकरण पर थे।
पीएसीएल पिछले कई सालों से मुनाफा कमा रही थी। 2018-19 में मुनाफा 55.86 करोड़ रुपये, 2019-20 में 8.8 करोड़ रुपये और 2020-21 में 8.24 करोड़ रुपये रहा था।
यह निजीकरण का उदाहरण फिर से इस तथ्य को रेखांकित करता है कि निजीकरण पूंजीपति वर्ग का एजेंडा है। केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर विभिन्न दलों की सरकारें पूंजीपति वर्ग के प्रबंधकों के रूप में कार्य करती हैं और अपनी क्षमताओं के अनुसार उनके एजेंडे को लागू करती हैं।