घातक ग्रीक रेलवे दुर्घटना सुरक्षा में निवेश की कमी और निजीकरण का सीधा परिणाम है!

कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

 

28 फरवरी 2023 को ग्रीस में लारिसा के पास एक मालगाड़ी पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई। तेज गति से टकराने से पहले दोनों ट्रेनों ने एथेंस-थेसालोनिकी लाइन पर एक ही ट्रैक पे कई किलोमीटर की यात्रा की। यात्री ट्रेन लगभग 350 लोगों को ले जा रही थी, जिनमें से अधिकांश 20 की उम्र के छात्र थे जो एक लंबी छुट्टी सप्ताहांत के बाद वापस कॉलेज जा रहे थे। हादसे में 50 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई। हादसा इतना जोरदार था कि कुछ यात्रियों की पहचान नहीं हो पाई है। कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

टक्कर किस वजह से हुई?

एक रेलकर्मी ने कहा, “हमारी ट्रेनें 30 साल पहले की तरह चलती हैं।”

हालांकि सरकार लारिसा के स्टेशन मास्टर को दोष देने में तेज रही है, वास्तविकता यह है कि यह व्यवस्था की सुरक्षा और आधुनिकीकरण में निवेश करने में सरकार की विफलता थी। कोई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन सुरक्षा राडार प्रणाली जगह में नहीं थी!

ग्रीस में रेलवे यूनियन वर्षों से रेलवे अधिकारियों को लिख रहे हैं, उन्हें मौजूदा व्यवस्था के खतरों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं; मज़दूरों की कमी, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और शायद ही किसी स्वचालित सिग्नलिंग को देखते हुए, आपदा आसन्न थी।

रेलवे वर्कर्स फेडरेशन ने एक बयान में कहा, “दुर्भाग्य से, पूर्णकालिक मज़दूरों की भर्ती, बेहतर प्रशिक्षण और सबसे बढ़कर, अप-टू-डेट सुरक्षा प्रणालियों के कार्यान्वयन की हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग हमेशा कूड़ेदान में ही खत्म हुई है।” एक अन्य रेलवे मज़दूर यूनियन ने कहा कि रेलमार्ग चलाने के लिए आवश्यक 2100 मज़दूरों के स्थान पर केवल 750 को ही नियोजित किया गया है।

यूनियन के एक नेता ने कहा, “लाइट सिग्नल काम नहीं करते हैं और न ही ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम। अगर ये काम करते तो ड्राइवर लाल बत्ती देखते और ट्रेनें एक दूसरे से 500 से 1,000 मीटर की दूरी पर सुरक्षित रूप से रुक जातीं। हमने इसे बार-बार बताया है। अगर सुरक्षा प्रणालियां काम कर रही होतीं तो ऐसा नहीं होता। स्टेशन मास्टर सूचनाएं भी रेडियो के माध्यम से देते है।”

निजीकरण

यूरोपीय संघ, यूरोपीय सेंट्रल बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ग्रीस में वित्तीय संकट के दौरान राहत प्रदान करने के लिए लागू शर्त के रूप में 2013 में ग्रीक रेलवे के निजीकरण की मांग करी।

2017 में, राज्य के स्वामित्व वाले रेल ऑपरेटर का निजीकरण किया गया और इटली के फेरोवी डेलो स्टेटो इटालियन ग्रुप को बेच दिया गया। निजी रेलवे कंपनी “हेलेनिक ट्रेन एस.ए.” ग्रीस में प्रमुख रेलवे लाइनों पर यात्री और मालगाड़ियों का संचालन करती है। दुर्घटना में शामिल यात्री ट्रेन हेलेनिक ट्रेन द्वारा संचालित की गई थी। ये ट्रेन ऑपरेटर पूरी तरह से लाभ से प्रेरित हैं और उन्होंने सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए कोई निवेश नहीं किया है।

ग्रीस में विरोध प्रदर्शन 

इस दुर्घटना के बाद रेलकर्मियों ने 2 मार्च 2023 को हड़ताल शुरू की और इसे 3 मार्च तक बढ़ा दिया। यूनियनों ने 2 मार्च की रात एथेंस में हेलेनिक ट्रेन के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। लारिसा, एथेंस, थेसालोनिकी और अन्य शहरों में लोग बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं।

प्रदर्शन में भाग ले रहे एक 21 वर्षीय छात्र ने कहा, “सबसे ज्यादा हमें इस बात का गुस्सा आता है कि साल 2023 में ऐसा हो सकता है, दो ट्रेनें कैसे टकरा सकती हैं… जब इतनी प्रौद्योगिकी है।”

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा: “हर कोई जानता है कि अगर ग्रीस राज्य चाहता तो इस दुर्घटना को रोका जा सकता था। मेरे अपने बेटे ने नौ साल पहले सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड करने का काम किया था। तब से, यह काम रुका हुआ है क्योंकि कंपनियां केवल मुनाफे में रुचि रखती हैं।”

हम कब जागेंगे?

यह झूठा प्रचार किया जाता है कि निजीकरण बेहतर सेवाओं और आधुनिकीकरण की ओर ले जाता है। परन्तु, ग्रीस में दुर्घटना निजीकरण की वास्तविकता का एक और उदाहरण है। निजी कंपनियां सिर्फ अपने फायदे की परवाह करती हैं, जनता की सुरक्षा की नहीं।

भारत में रेल मज़दूर भी रिक्तियों को भरने और सुरक्षा उपायों में निवेश की मांग उठा रहे हैं। हर साल सैकड़ों की संख्या में ट्रैक मेंटेनर की मौत हो जाती है। मज़दूरों की कमी के कारण, रेलवे कर्मचारियों पर अत्यधिक काम का बोझ पड़ता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मज़दूर यात्रियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं जब हर दिन उनका अपना जीवन दांव पर लगा हो?

ग्रीस में रेलवे मज़दूरों ने शिकायत की है कि क्रमिक सरकारें–चाहे कोई भी पार्टी हो–उनकी सुरक्षा संबंधी मांगों को नज़रअंदाज़ करके निजीकरण के साथ आगे बढ़े है। भारत में भी श्रमिकों को गुमराह नहीं होना चाहिए। यह समय की मांग है कि श्रमिक और जनता एकजुट हों और रिक्तियों को भरने, काम करने की बेहतर स्थिति और सुरक्षा में निवेश की मांग करें। हमें भारतीय रेलवे में गति पकड़ रहे जनविरोधी निजीकरण का एकजुट होकर विरोध करना चाहिए। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, श्रमिकों और जागरूक नागरिकों की यह जिम्मेदारी है कि वे वर्तमान व्यवस्था की कमियों और निजीकरण के खतरों के बारे में जनता को आगाह करें।

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