उत्तर प्रदेश की विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का संदेश
वार्ता विफल – चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों की हड़ताल शुरू
1000 करोड़ रुपए का टर्नओवर देने वाले, पिछले 7 साल से लगातार मुनाफा कमाने वाले ,मात्र 09.2% लाइन हानियों वाले, सबसे सस्ती बिजली देने वाले, विगत पाँच वर्षों से टैरिफ न बढ़ाने वाले – चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण पर केंद्र सरकार उतारू है। बिजली कर्मियों से विगत दो वर्षों में कल रात पहली बार राज्यपाल के सलाहकार ने वार्ता की। वार्ता में कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। परिणाम स्वरूप बिजली कर्मी 22 फरवरी के रात्रि 00 बजे से 3 दिन की हड़ताल पर चले गए हैं ।
साथियों! बहुत विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूं जो आज चंडीगढ़ में हो रहा है वही कल राज्यों में होगा। चंडीगढ़ केंद्र शासित है अतः चंडीगढ़ में केंद्र सरकार सीधे निजीकरण कर रही है। निजीकरण करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन या स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट फाइनल होने का भी इन्तजार नहीं किया जा रहा है। निजीकरण की जल्दबाजी में बेशर्मी से सभी मानदण्डों को ताक पर रख दिया गया है। चंडीगढ़ में 100% स्टेक बेची जा रही है। खरीददार गोयनका की कोलकाता इलेक्ट्रीसिटी पॉवर कंम्पनी है, जो देश में सबसे महँगी बिजली बेचने के लिए बदनाम है। 25000 करोड़ रु की चंडीगढ बिजली विभाग की परिसंपत्तियों को मात्र 871 करोड़ रु में और अरबों खरबों रु की सारी जमीन मात्र 1 रु की लीज पर दी जा रही है।
हड़ताल 100% सफल है। देश भर के 15 लाख बिजली कर्मी चंडीगढ़ के बिजली कर्मियों के साथ हैं।
इन्कलाब जिन्दाबाद।@विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति,उप्र