2 अक्टूबर 2021 से पूरे महाराष्ट्र से महाराष्ट्र स्टेट बैंक के कर्मचारियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का विरोध करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया। हम एक सहयोगी, महाराष्ट्र स्टेट बैंक कर्मचारी संघ लातूर के एक सक्रिय सदस्य जो अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ से संलग्न है, श्री महेश घोडाके से प्राप्त एक रिपोर्ट को प्रकाशित करते हुए प्रसन्न हैं।
(मराठी से रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद)
52 साल से अधिक समय पहले भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने निजी क्षेत्र के बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का कदम उठाया था। राष्ट्रीयकरण के बाद, देश भर में फैली बैंक शाखाओं के साथ भारत में बैंकिंग का तेजी से विस्तार हुआ। वर्तमान सरकार ने अब घोषणा की है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण शुरू करेगी। महात्मा गांधी की 152वीं जयंती के अवसर पर लातूर में महाराष्ट्र स्टेट बैंक कर्मचारी महासंघ के सदस्यों ने निजीकरण के कदम का विरोध करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। वे कम से कम 15 दिनों तक अभियान जारी रखेंगे। लातूर से पहले ही ग्राहकों के 5000 से अधिक हस्ताक्षर एकत्र किए जा चुके हैं।
हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रोफेसर रणसुभे और श्री अरुणदादा कुलकर्णी के निजीकरण के इस कदम के विरोध की सार्वजनिक घोषणा से हुई थी। महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद श्री अरुणदादा कुलकर्णी ने बताया कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने किसानों की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसलिए किसानों (यानी बळीराजा) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच संबंध अटूट है। उन्होंने सवाल किया की “अगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण कर दिया जाता है तो किसानों की मदद कौन करेगा?” उन्होंने बैंक कर्मचारियों से पूर्ण सक्रिय समर्थन का वादा किया और उनसे यह संदेश फैलाने का आग्रह किया कि सभी गांवों में ग्राम सभाओं का आयोजन करके सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का विरोध क्यों किया जाना चाहिए।
अपने समापन भाषण में बैंक कर्मचारियों के नेता, कॉमरेड उत्तम होलिकर ने कहा कि एक तरफ सरकार “जय जवान जय किसान” का नारा देती रहती है, लेकिन दूसरी तरफ वह रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण पर जोर दे रही है। कॉमरेड होलिकर ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका से लौटने पर, भारत के प्रधान मंत्री ने बेकार विस्टा परियोजना का दौरा किया, लेकिन उनको उन किसानों से मिलने और बात करने का समय नहीं मिला, जो 10 महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें 700 से अधिक किसानों की जान चली गई है। उन्होंने कहा कि इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण के खिलाफ लड़ाई सिर्फ कर्मचारियों की नहीं बल्कि हमारे घरों और बस्तियों के सभी लोगों, किसानों, मज़दूरों, चायवालों, फेरीवालों और मध्यम वर्ग के लोगों की लड़ाई है। इसलिए सभी वक्ताओं ने कहा कि हम सभी गांधीवादी अहिंसा के सिद्धांत पर चल कर निजीकरण के कदम को हरा देंगे, उन्होंने घोषणा की।
महाराष्ट्र स्टेट बैंक कर्मचारी महासंघ के सदस्यों ने 2 अक्टूबर 2021 से लातूर में इस अदभुत हस्ताक्षर अभियान और जन जागरण कार्यक्रम की शुरुआत की। लातूर की मुख्य शाखा के सामने उन्होंने व्यापारियों, छोटे पैमाने के निर्माता, फेरीवाले और आम नागरिक सहित समाज के विभिन्न वर्गों के बैंक ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत संवाद करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे बैंक के निजीकरण का अर्थव्यवस्था और कामकाजी लोगों के दैनिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस संवाद के माध्यम से उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का विरोध करने वाली याचिका पर बड़ी संख्या में लोगों से हस्ताक्षर करवाए।
लातूर शहर के सभी बैंक कर्मचारियों ने सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है। अभियान के समापन के बाद सभी हस्ताक्षर एक साथ एकत्र किए जाएंगे और जनता की यह अपील सामूहिक रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला को भेजी जाएगी।
बहुत सही कहा है कि ये सिर्फ मज़दूरों की नहीं लेकिन जनता की लड़ाई है क्योंकि निजीकरण पूरी जनता की लूट है। साथ मिलकर विरोध करना जरूरी है।