हर साल सैकड़ों ट्रैकमैन चलती ट्रेन से कटने के शिकार हो रहे हैं और उनकी जान बचाने के मुद्दे को उठाने में हमारा समर्थन करें – श्री कांता राजू, महासचिव, एआईआरटीयू

सरकार लोगों की गाढ़ी कमाई से बनी संपत्ति मुट्ठी भर पूंजीपतियों को नहीं सौंप सकती। इस महामारी में अंबानी, अदानी की आय कई गुना बढ़ गई है। सरकार ने ऐसा कैसे किया? निजीकरण की मदद से हुआ है ।

श्री कांता राजू, महासचिव, अखिल भारतीय रेलवे ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (एआईआरटीयू) के एआईएफएपी की मासिक बैठक 7 नवंबर 2021 में भाषण के मुख्य बिंदु

मैं एआईआरटीयू की ओर से एआईएफएपी का समर्थन करता हूं। मोदी सरकार सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है। पिछले महीने उन्होंने उत्तर रेलवे (एनआर) में ट्रैक रखरखाव कार्य का निजीकरण करने का प्रस्ताव रखा। ट्रैक मेंटेनर के रिक्त पदों को नहीं भरा गया है और इस वजह से एक ट्रैकमैन को 10 ट्रैकमैन का काम करना पड़ता है।

ट्रैक मेंटेनर अकेले ही गश्ती कार्य के लिए भेजे जाते हैं। यह शारीरिक और मानसिक रूप से थका देने वाला काम है। पूरे देश में हर साल 400 से 500 ट्रैकमैन चलती ट्रेनों के चपेट में आ जाते हैं और मर जाते हैं। आज भी हमारा एक ट्रैकमैन ने ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गवां दी है । देश में करीब 4 लाख ट्रेन मेंटेनर हैं। एआईआरटीयू इंडिया ने ट्विटर आईडी के माध्यम से, इसके बारे में प्रधान मंत्री और रेल मंत्री और अन्य अधिकारियों को ट्वीट किया, लेकिन उनमें से किसी ने भी जवाब देने की परवाह नहीं की। हमारे देश के लिए शहीद हुए जवानों के बारे में तो लोग जानते हैं, लेकिन जब एक ट्रैकमेंटेनर मरता है तो कोई परवाह नहीं करता। मैं एआईएफएपी और अन्य संगठनों से अनुरोध कर रहा हूं कि ट्रैकमैन के चलती हुयी ट्रेन से कुचले जाने और उनकी जान बचाने के मुद्दे को उठाने में हमारा समर्थन करें।

कागज पर सरकार ने हमें कई उपकरण जैसे जूते, रेनकोट, रक्षक उपकरण, काम करने के लिए उचित उपकरण आदि का वादा किया है, लेकिन हमें अभी तक वे प्राप्त नहीं हुए हैं। मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं और इसे लागू कराने की पूरी कोशिश कर रहा हूं।

देश में अधिकांश लोग गरीब हैं और निजीकरण से उनकी कोई मदद नहीं होने वाली है। सरकार लोगों की गाढ़ी कमाई से बनी संपत्ति मुट्ठी भर पूंजीपतियों को नहीं सौंप सकती। इस महामारी में अंबानी, अदानी की आय कई गुना बढ़ गई है। सरकार ने ऐसा कैसे किया? निजीकरण की मदद से हुआ है ।

यह बहुत अच्छा है कि हम एआईएफएपी के साथ इकठ्ठे आए हैं और कई राष्ट्रीय संघ शामिल हुए हैं। हमारा यूनियन निजीकरण का विरोध करता है और एआईएफएपी का पूरा समर्थन करता है। इस मंच की मदद से हमें यह पता चलेगा कि सभी फेडरेशनों के नेता निजीकरण के खिलाफ लड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर क्या निर्णय लेते हैं। एक दिन के लिए पूरे सार्वजनिक क्षेत्र को बंद करना जरूरी है।

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