…….तो फिर बिजली के दर निर्धारित करने का अधिकार केन्द्र सरकार को चला जाएगा

 

कॉ. मोहन शर्मा : राज्य के अधिकार संकट में

– लोकमत न्यूज़ नेटवर्क

 

 

मुंबई : देश के 13 राज्य सरकारों, अनेक केंद्रशासित प्रदेश तथा 500 से ज्यादा संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने केन्द्र सरकार के द्वारा प्रस्थावित् बिजली कानून – 2021 का विरोध किया है। अगर यह कानून लागू होता है तो राज्य सरकार को बिजली दर निर्धारित करने समेत अपने सभी अधिकारों से हाथ धोना पड़ेगा। सब अधिकार केन्द्र सरकार के हाथ में चले जाएंगे, ऐसा महाराष्ट्र स्टेट एलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष कॉ. मोहन शर्मा ने बताया।

 

आल इंडिया फेडरेशन ऑफ एलेक्ट्रिसिटी एंप्लॉयीज और नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी एंप्लॉयीज एंड इंजीनियर्स की उपस्थिति में बिजली मजदूरों, अभियंतो, संयुक्त कृति समिति, बिजली बचाओ संयुक्त कृति समिति और अन्य स्वतंत्र संगठनों की ऑनलाईन बैठक हुई, इसमें उन्होंने यह कहा।

मोहन शर्मा ने कहा कि, अगर यह बिल पास हुआ, तो देश में किसानों, निम्न वर्गीय लोगों और अन्य बिजली उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी बंद कर दी जाएगी। सरकार की मालिकी की बिजली कम्पनियां निजी पूंजीपतियों को कौड़ी के दामों में बेच दी जाएगी।

महाराष्ट्र के तीनों बिजली कंपनियों में मौजूद 24 संघटनाओं ने केंद्र सरकार के निजीकरण नीति के विरोध में एकता बनायी है। देश के 15 लाख और महाराष्ट्र के  तीन बिजली कंपनियों में काम करनेवाले 86 हजार बिजली कर्मचारी, अभियंता व अधिकारी और ठेका मजदूरोंने नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी की पुकार को अच्छा प्रतिसाद देते हुए संशोधित बिजली कानून 2021 के विरोध में 10 अगस्त को होने वाले बंद में शामिल होने का फ़ैसला किया है, ऐसी जानकारी आल इंडिया फेडरेशन ऑफ एलेक्ट्रिसिटी एंप्लॉयीज के राष्ट्रीय सचिव कॉ कृष्णा भोयर ने दी।

 

 

 

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments