कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
27 दिसंबर 2022 को बेंगलुरु में संयुक्त होराटा – कर्नाटक द्वारा बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 पर एक राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सेमिनार को कर्नाटक विद्युत कर्मचारी महासंघ के उप महासचिव श्री मोहम्मद समीउल्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार किसानों के हितों के खिलाफ काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि अगर यह बिजली संशोधन विधेयक लागू किया जाता है तो किसानों को उच्च बिलों का भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि बिजली निजी हाथों में चली जाएगी। अगर समय पर बिलों का भुगतान नहीं किया जाता है तो निजी क्षेत्र आपूर्ति काट देगा जैसाकि अब उड़ीसा में किसानों को सामना करना पड़ रहा है जहां बिजली वितरण का पहले से ही निजीकरण किया गया है। इसके अलावा, उड़ीसा में किसानों को निरंतर बिजली नहीं मिल रही है क्योंकि निजी क्षेत्र का प्रबंधन ग्रिड की खराब स्थिति के लिए इसके लिए जिम्मेदार ठहराता है। उन्होंने कहा कि कोई कल्पना कर सकता है कि अगर सिंचाई के लिए बिजली नहीं होगी तो फसलों का क्या होगा।
इससे पहले जब किसान सिंचाई के लिए पानी मांगते थे, तो विभिन्न सरकारों ने बोरवेल स्थापित किए और मुफ्त बिजली दी। लेकिन कर्नाटक सरकार आज कह रही है कि मीटर लगाकर भुगतान करने पर ही बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। आज पहले से ही किसान बिजली की कमी का सामना कर रहे हैं। सरकार निजी क्षेत्र को लाने का प्रस्ताव कर रही है और कहती है कि हम उनके माध्यम से बिजली उपलब्ध कराएंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है और अगर सरकार पानी उपलब्ध कराती है तो खेती के लिए मुफ्त बिजली की कोई आवश्यकता नहीं है।
कर्नाटक राज्य रायता संघ के जेएम वीर नरसिघैया द्वारा लिखी गई पुस्तक “मीटर स्थापना – एक बोझ और किसानों पर एक सजा? इस अवसर पर सरकार का रुख बनाम किसान निर्णय” भी जारी की गयी।
इस अवसर पर कर्नाटक राज्य रायता संघ के बडगलपुर नागेंद्र, कर्नाटक प्रांत रायत संघ के यू बसवराज, अखिल भारत किसान सभा (कर्नाटक) के डॉ. सिद्धगौड़ा पाटिल, एआईकेकेएमएस के एचवी दिवाकर, दलित समन्वय समिति संघ के महाबली शंकर, कर्नाटक रैयत संघ के डीएच पुजार, कर्नाटक फार्म मजदूर संघ के चंद्रप्पा होस्करा, अखिल भारतीय जनवादी महिला संगठन से देवी और एआईसीसीटीयू से पीआरएस मणि ने भी अपने विचार रखे।