उड़ीसा में रेल दुर्घटना — जान गंवाने वाले लोगों को हम श्रद्धांजलि देते हैं क्या इस दुर्घटना और अन्य दुर्घटनाओं के लिए रेलकर्मी जिम्मेदार हैं या रेलवे बोर्ड में नीतियां तय करने वाले वर्तमान राजनीतिक और उच्च अधिकारी जिम्मेदार हैं?

डॉ सीएच शंकर राव, महासचिव, दक्षिण मध्य रेलवे मजदूर यूनियन (एससीआरएमयू) और कोषाध्यक्ष, ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआईआरएफ) का संदेश


जनवरी 2023 में राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में माननीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव का बयान, भारतीय रेलवे में सभी जोनों में 3 लाख अराजपत्रित पद रिक्त हैं।
राजपत्रित (gazette) और अराजपत्रित (non-gazetted) पदों पर रिक्तियों में सभी विभागों के इंजीनियर, तकनीशियन, ट्रैक मेंटेनर, महत्वपूर्ण पद जैसे लोको पायलट, ट्रेन प्रबंधक, स्टेशन प्रबंधक, पॉइंटमैन आदि शामिल हैं। आधी रिक्तियां सुरक्षा विभागों में हैं।

लेवल-1 में 1,03,769 रिक्त पद हैं जिनमें ट्रैकमैन, पॉइंटमैन, इलेक्ट्रिकल, सिग्नल और टेलीकॉम सहायक शामिल हैं। ट्रेनों के सुचारू संचालन के लिए ये पोस्ट महत्वपूर्ण हैं।

2014 से ट्रिपल लाइन का निर्माण, नई ट्रेनें शुरू, सभी लाइनों का 100% विद्युतीकरण होने के बावजूद पदों के निर्माण पर प्रतिबंध है।

माल ढुलाई में सुधार हुआ और मालगाड़ियों की संख्या में वृद्धि हुई लेकिन कोई नया कर्मचारी नहीं बढ़ा लेकिन आश्चर्यजनक रूप से रेलवे बोर्ड ने हर साल 2% कर्मचारियों की कटौती के आदेश जारी किए। महाप्रबंधकों ने सुरक्षा अधिकारियों, एआईआरएफ और कर्मचारियों द्वारा व्यक्त चिंता के विरुद्ध कर्मचारियों की कमी का पर्यवेक्षण किया।

अब रेलवे के लिए अलग से बजट नहीं, सांसदों द्वारा वित्तीय बजट में रेलवे की जरूरतों पर चर्चा नहीं।

कर्मचारियों पर दबाव और उनको धमकियों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं। कर्मचारियों को ट्रेनों की समयबद्धता बनाए रखने के लिए शॉर्ट कट तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जाता है। अनुरक्षण कार्य करने के लिए पर्याप्त ट्रैक मेंटेनर के बिना गति में वृद्धि की गई।

कोई ब्लॉक पर्याप्त समय के साथ नहीं दिया जाता; कर्मचारियों को समय की पाबंदी बनाए रखने के नाम पर काम पूरा करने को कहा जाता है।

कर्मी दल समीक्षा को युक्तिसंगत बनाने के नाम पर लोको पायलटों की छमाही समीक्षा वापस लेकर वार्षिक समीक्षा शुरू की गई। 10,000 लोको पायलेट पोस्ट को अतिरिक्त घोषित करने के फार्मूले में बदलाव किय गया।

रेलवे बोर्ड सिर्फ कर्मचारियों की कटौती चाहता है। नौकरी की गुणवत्ता की कीमत पर धीरे-धीरे सभी कामों का निजीकरण किया जा रहा है।
यह सरकार रेलवे में निजीकरण की नीतियों को रोककर सुरक्षा श्रेणी के पदों के सृजन पर भी उतना ही ध्यान देती तो अच्छा होता ।

मौजूदा कर्मचारियों, विशेष रूप से लोको पायलट, ट्रैक मेंटेनर और अन्य तकनीकी कर्मचारियों पर काम के दबाव को कम करें, जिन्हें दिन में 12 या 16 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
उनके साथ इंसानों जैसा व्यवहार करें। कृपया उन्हें मशीन के रूप में न मानें और कर्मचारियों को दिन-प्रतिदिन के आदेशों से परेशान करना बंद करें।

सभी रिक्त पदों को भरें।
इस वर्ष सरेंडर किए गए 2% पदों को पुनर्स्थापित करें।
लोगों के जीवन की रक्षा करें।

भारतीय रेलवे की सफलता के लिए निजीकरण, मुद्रीकरण से अधिक महत्वपूर्ण लोगों और श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण है।
अब भी सोचिए, अपनी आर्थिक नीति में बदलाव करें और लोगों और श्रमिकों के साथ न्याय करें।

डॉ सीएच शंकर राव
महासचिव एससीआरएमयू & कोषाध्यक्ष एआईआरएफ
04.06.2023

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