कामगार एकता कमेटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (EEFI) का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन 10-12 मार्च 2025 को केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित किया गया।
सम्मेलन में देश भर से विद्युत क्षेत्र के सभी वर्गों – उत्पादन, पारेषण और वितरण – के 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन CITU के महासचिव कॉमरेड तपन सेन ने किया। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों का संघर्ष पिछले कई वर्षों से मोदी सरकार की मजदूर विरोधी, जन विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध और चुनौती का सच्चा उदाहरण रहा है। उद्घाटन सत्र में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज (AIFEE) के महासचिव कॉमरेड मोहन शर्मा ने भी स्वागत संदेश दिया।
सम्मेलन में एक बहुत विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में तेजी से हो रहे तकनीकी परिवर्तन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव को समायोजित करते हुए बिजली कर्मचारियों के सामने आने वाली चुनौतियों की ओर इशारा किया गया। विभिन्न रूपों में निजीकरण के साथ-साथ ठेकाकरण और कार्यबल के गैर-नियमन के अन्य रूप बिजली कर्मचारियों के सामने आने वाले मुख्य मुद्दे हैं। रिपोर्ट में संघर्षों, विशेष रूप से उपभोक्ताओं के लिए बिजली के अधिकार की रक्षा और सार्वजनिक बिजली उपयोगिताओं की सुरक्षा के बारे में चर्चा की गई।
सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित किये गये, जिनमें विद्युत क्षेत्र के निजीकरण का कड़ा विरोध तथा नवीकरणीय ऊर्जा विकास में सार्वजनिक स्वामित्व सुनिश्चित करना शामिल था।
26 जून 2025 को दो अखिल भारतीय हड़तालों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रस्ताव पारित किया गया, जिनमें से एक हड़ताल श्रम संहिताओं के विरोध में तथा दूसरी हड़ताल बिजली के मुद्दे पर होगी।
सम्मेलन में प्रत्येक राज्य में श्रमिक-उपभोक्ता संगठन बनाने, अन्य विद्युत फेडरेशनों के साथ संयुक्त कार्रवाई को मजबूत करने, NCCOEEE को मजबूत करने का निर्णय लिया गया।
सम्मेलन के पहले दिन शाम को बिजली कर्मचारियों की एक विशाल रैली हुई। जनसभा को EEFI के अध्यक्ष कॉमरेड इलामारम करीम और कार्यकारी अध्यक्ष कॉमरेड स्वदेश देव रॉय ने संबोधित किया।